পাতা:কাদম্বরী (হরিদাস সিদ্ধান্তবাগীশ).pdf/৭৫২

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थाश्बायाँ पत्रलैखात कादब्बरीक्लप्तान्तश्रवणन् । *Աձ भवनकलइ खान् कुश्मिीलखसुखर नपुरेण चरणारविन्दन विसजयन्तो, कर्षीत्पलमधुकरानपि खिद्मददनव्यजनोछते (१) प्र शुकपज्ञवेनोत्सायन्ती, ताम्बूलवीटिकाशकखसुत्कोचमिव दन्तखण्डित शिखण्डिने ददती, वनदेवतात्रवणशङ्गितैव सुष्ठुमु'इरितस्ततो विलोकयन्ती, वशुक्ामापि न शक्नोति झ किंचिदपि लज्जाकलितगद्गदा गदितुम् (ङ) । प्रयल्लतोऽपि चास्या नि शेष ज्वखता मदना नल नेव दग्धा, प्रवहता नयनोदकेनवोढा, प्रविशद्धिदै खेरिवाक्रान्ता, पतद्धि कुसुम चापगरेरिव शकखोक्कता, निष्यतब्रिनि स्वसितँरिव (२) निर्वासिता, द्रदयवत्तिभि चिन्ताशतेरिव विधता, निष्खासपायिभि (३) मधुकरकुलेरिव निपोता, न प्रावतत 8م-Y* कुमिस्त्र उल्लेखेन षषणग मुखर शब्दायमान नपुर यख तग । चरणारविन्देन भवनकलच्न सान् विसश यन्तौं थपसारयनौव । अत्र प्रतौयमाना क्रियात्म षा । खिद्यतो धर्मातौभवता बदनख व्यञ्जनौछातन थ शुकपल्लवेन चेखाचखेन कपाँत्पखमधुकरामपि उत्सारयन्तौव । प्रसैौवमाना क्रियीत्य चा । शिखण्डिने भवनमय,राय दन्त खखित चवि तम् ताब्व ख*ौ टकावा शकल खखम् उत्कोचमिव भपसरणस्यlत भाष ददतौ । चन्वीऽप्यप सतु कर्बेचिदुत्कोच ददाति । जायुत्म था । तथा वनदेवतानां श्रवणात् भडि* व सतौ । क्रियीत्मघा । जज्जया कखितां विहितो गदूगद भरप्रष्टखरो यस्या सा । गदितु वत,म् । (च) प्रवव्रत इति । चखा कादण्षय्यां वाशौ गि शेष सम्प.पtवयव यथा खात्तथा उचखता नदनानलेन दग्ध व सतौ प्रवक्ता नयनोदकेनारुणा ऊढा सच्चाख्थ गौतव सतौ प्रविमहकुखविवरबारेण तृदय गच्छहिदु ख राक्रान्त व सती पतङ्गि कुसुम चापस्य मदनस्य भर प्रएकजौछता खण्डौठ्ठता छिन्न व सतैौ निष्पताङ्गनिर्गचछ इ िशास वायुभि निर्वासिता वहिष्क तव सती छदयवतिभि श्वन्ताग्रत विधृता थाझट ब सतौ निश्वासपायिभि सौर मातिथ४ा दति भाव मधकरकुलधमरगण निपीतव सती च प्रयवतीऽ प ग प्रावतत मुखान्न निरगच्छत् । भत्र प्रत्य कविश्षण एव क्रिथीत्य चालड़ार । কর্ষণ করায়ু শব্দায়মান নূপুরস\যুক্ত চরণপদ্মম্বারা গৃহপালিত হলদিগকে যেন সরাইয়ু দিতে লাগিলেন, ঘৰ্ম্মাক্ত মুখমণ্ডলে বাতাস করিবার জন্ত সঞ্চালিত বসনাঞ্চলদ্বারা কর্ণোৎপলস্থিত ভ্রমরদিগকেও বেন তাড়াইয়া দিতেছিলেন গৃহপালিত ময়ুর্টকে উৎকোচের ন্যায় দগুচবিত তাম্বুলখও দান করিতে লাগিলেন এব, “বনদেবতারা শুনিবেন এই আশঙ্কায় যেন বাংবার হতস্তত দৃষ্টিপাত করিতে লাগলেন, এদিকে লজ্জা আসিয়া কণ্ঠস্বর অস্পষ্ট করা ফেলিল, তাই স্তিান বলিতে ইচ্ছা করিলেও কিছুই বলিতে পারিলেন না। (চ) পূর্ণমাত্রায় প্রজ্বলিত মদননিলে খেন তাহার বাৰ্য দগ্ধ করিয়া ফেলিয়াছিল, নগ্নজলপ্রবাহে যেন ভাসাইরা নিয়াছিল, দুখ সকল হৃদয়ে প্রবেশ করিতে থাকিয়াই যেন আক্রমণ করিয়াছিল, মানের বাণ পতিত ইষ্টতে থাকিয়াই মেন খণ্ড খণ্ড করিয়া ফেলিয়াছিল, নিশ্বাস নির্গত হইতে থাকিয়? ধেন নিৰ্ব্বাসন করিয়াছিল, হৃদয়স্থিত চিন্তাসমূহে যেন আকর্ষণ কfaয় রাখিয়াছিল এবং নিশ্বাস (१) खिद्मइदनब्धजगचिप्त न । (२) नि श्वसिषैरिव श्वसि*रिव । (१) नेि श्वासपाबिभि विश्वासपातिभि ।