(b (b. अनाथवन्धु 99
। 'नये चुटकुले। ( श्रीरामछाष्ण उपामानी लिखित )
दमा की दवा। यह बिमारी हमारे देश में बहुत फैली हुई है।
थोड़ी सहि लगने ही से इस बिमारी की उत्पति
होती है। यह बड़ी ही कष्टदायक बिमारो है, एक बार इसका शिकार बन जानेसे जन्म भर तक पीछा नहीं छुटता। इसकी दवा विहिदाना (जो बनिया के दुकानों में २॥ पैसे की मिलती है) एक कूड़ौमें (पथरी) एक तोला मिस्री में रात के समय भोजों देना चाहिये, दुसरे दिन सुबह हाथ मुंह धोकर उस कटोरी में घोली हुइ दवा को उत्तम प्रकार मिला कर तथा छानकर एक छटाक पीना चाहिये। इसी प्रकार तीन दिन सेवन
करनेसे यह भयंकर रोग आराम हो जाता है ।
आमाशय की दवा ।
१। लोहे के एक टुकड़े को आग में छोड़ देना चाहिये, जलकर खाल होनेपर तेलाकुचा का एक छटांक रस उसी जले हुए लोहेपर छोड़ देना चाहिये, परन्तु याद रहे, उस लोहे के नीचे एक पत्थर की कटोरी हो ताकि वह जमीन पर न गिरे। उस कटोरी में जब यह ठढां ही जाय तब थोड़ा सेंधा निमक मिला कर तीन दिन बराबर सुवाह आधा छटांक खानेसे आमाशय आराम होता है । 源
२। कुकरीधे के पतेका रस भी उसी प्रकार सेवन करनेसे फायदा होगा।
३। कची इमली के पते को पीस कर ५ माया
थोड़ा सेंधानिमक मिला कर खानेसे भी यह रोग आराम होता है।
हुजमी गोली ।
१ तोला कालमेघ का पत्ता एक तोला अजवाईन एक तोला, सौफ एक तोला, काला जिरा एक तोला, वैतरा सोंठ एक तोला, बड़ी इलायची. का छिलका एक तोला, सेंधानिमक थोड़ी मेथी इनसभोंकी एक साथ पीस कर गोली बनाना चाहिये। बच्चों को सप्ताह मे दो तीन दिन सुबह देनेसे पेट की विमारी कभी नहीं होती है।
हुच्की । १। ताड़फल का पानी पीनेसे हुँचकि आराम होता है ।
२ । गरम खोई को थोड़े पानी में भोजों कर उसीपानी को थोड़ा थोड़ा पोनेसे हुँचकि आराम होती है ।
३ । एक नारियल काटकर उसमें १ तोला सहद छोड़ देना चाहिये, और उसे थोड़ा थोड़ा खिलाना चाहिये।
8। कबाब चिनी सुह में रखनेसे हुचकि बन्द होती है।
५। बकरी के दुधमें थोड़ासा सोंठके चूर्ण को मिला कर खानेसे हुच्कि आराम होती है।
बबासीर की दवा। । बाहर की और होनेसे कपूर तथा रक्तचन्दन
का लेप देनेसे आराम होता है। रक्तचन्दन न
পাতা:অনাথবন্ধু.pdf/৩৭৫
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