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मिले तो कपूर तथा सरसों का तेल देनसे भी यह चाहिये।
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इसके सेवन से पेट को छामि शैघ्र
आराम होता है । आराम होती है।
२ । अनार के गाछ की जड़ का काढ़ा बना पाँव वा गट्टा । कर तिलके तेलके साथ खानैसे भी क्रिमि आराम
नहाने के वक्त पांव को थोड़ी देर के लिये होती है।
। पानीमें भौजों कर गट्टे के उपर अच्की तरह से ३। एक मात्रा विशह रेड़ी का तेल और । भामा घस देनेसे गट्टा पत्ला हो जाता है। एक मात्रा सेण्टुनाइन दोनों को मिला कर सुबह खाना चाहिये। उससे क्रिमि इारा हुआ पेट की छामि रोग की दवा । दर्द और कबिजयत् आराम होती है। सुबह
१। पित्पसड़ा की (पलास) बीज, इन्द्रयव, ६ बजे इस दवा को रवावें फिर ठीक एक बजे । वाबिड़ङ्ग, निमके गाछ का छिलका तथा चिरायता पेट भर कर साबुदाना खावें, रातके वक्त भो आदिका समान समान चूर्ण कर उसमे थोड़ासा साबुदाना खावें उसके दूसरे दिन रस्सा और भात गुड़ मिला कर बराबर तीन दिन सबेरे खाना खाना चाहिये।
हिन्दुनारी । ( श्रीरामकृष्ण उपासानी लिखित )
नारी के विविध नाम :-जननी, प्रजावती, जीवों को गर्भधारणकर इन्होने अपनी सव्वत्। माता, ग्टहश्री, अवदा अन्नपूर्ण, अभया आदि कृष्टता का दृढ़प्रमाण दिया है अतएव ये सन्वॉश नारी का खरुप-माटिल्व, लेह, ममता, दया में श्रेष्ठ हैं। অীৰ মাহা । नारी की महिमा पुत्र ही से जानी जाती हैं,
शाखमें लिखा है-‘या देवी सब्र्वभूतेवु माढ़- मनुष्थ जिस दिन इस जगत मे पहिले प्रहल रुपेण संस्थिता।” जो समस्त जगत् में माल्टरुप पदार्पण करता हैं, सब्र्व प्रथम ही वह नारी ' में अवस्थान कर रहीं हैं वेही देवी महामाया को देखता है, और उसका स्तम्यपान कर तथा भगवती हैं। । उसको मा कहकर पुकार अपना मानवजन्म
आयोंने नारी को सर्वोचस्थान दिया है सार्थक करता है। - यह आखयजनक नही, वास्तव में ये सब्वॉत्कृष्ट जो मानव जाति को पैदा करनेवाली हैं, जिन खानाधिकारिणी हैं। कारण ये जीवग्रसव ‘पर मनुष्थ की भावी उन्नति करती है, उनके S S DDDDD YLL SSSDDDD DDD DS SDDDBD DDD DDDS DD DDBD g
পাতা:অনাথবন্ধু.pdf/৩৭৬
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