পাতা:আর্য্যদর্শন - তৃতীয় খণ্ড.pdf/২৫৪

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छ दृच्चांज) ॥ uाई pङ्गा:मा कान कार्श्व छैझल्ला कि বুঝিন্ত্রেন ছাহাৰ কিছুই পন্ধিৰাজ নাই ; কিন্তু অপরাপর স্থানে বিচ্ছিন্ন झाrय फांशत्र किङ्ग किङ्ग चकांक चांटझ् ॥ প্রৰন্ধনী, মিখাৰাৰাৱ, জলপাধির প্রঞ্জি ক্ষত্তিসম্পাজ, পয়ন্ত্রীত্রে অভিলাষ প্রজুঞ্জি লম্রাজনীত্তিঞ্জলি সেই কালে সমাজে সংস্থাপিত হইয়াছিল। ৰিৰ এই সমাজ নীতিগুলির একত্তি পর্যালোচনা কৰিলে ঠিক বুধিত্বে পারা স্বাক্টলে, যে এইগুলির ौिक जमार्छङ्ग बिगैँच्न अक्ञ्चात्र फ्रेंकिद्धि इङ्गेइ वाहक। गाइन चारुझा-यौवन अंब्रिकाॉक ब्लूकक जांबाब्लिक बौबट्टन প্রবেশ কৰিলেই এইগুলি জাঙ্ক প্রয়োজন शकेब छप्#। चाडfबौवान इरन वाग জনোৱ দধিক্ষাৰ ছয়ণ পূর্ব্বক আপনার इवं वृकि कब्रांत्र कांन वॉब झिज्ञ मां ; किका नाबाबिक औऋन $ङ्ग वावशंद्र cचाश् चबिüीवनांज्ञानत्र जब६ बानवङ्गनििन्दननुकाव देब्राख्यौँ । अरेचस्त्रा নিৰাশৰ নিৰি প্রাপ্ত আছনের গতি नाइवड़ नापर्व निवांबानत्र महाजन ** ****ার તના જ શઃ । - ፶፪ሣ अचकना कब्रिा जांबाब्रचधिकाब गहेरब मा 1 झांबि बिशा बारका बा बिंबा बाबহারে স্কোয়াকে কোন স্বলিষ্টশান্ধে मिto झतििव मनः। "দিৱপাৰে ঙ্কোমান্থ u CS KDCH TBB CBD कब्रिक मा , छाकखएमञ्च क्वेनकूङ झैँ अनब्रजश्न हैंझा कृब्रिtव न । cव.कडू *झ कब्लिाक झहैंट्ज ( uडूक झन बनङ्ग ब्रम इहेरक ऋब नद्र) अकबनएकैहे भवनाई अञ्चद्र क्रामग्न छाहित्विा हुझान्न कािक इड्रेटव ; फाझांरक क्लन्टब नयारब दृघात्र कक्र.श्वना केनरिङ इहेबा नबाब बड़े शहैबाञ्च ज्ञञ्चब1 us* मिबिच्च ८चक्रांझांटबद्भ बिक्रुङ्ग, क्राझैँ गदऋर्बद्ध दिङ्गाक कान्त फबनिवॆ निकाल्लक ब्रांज काठकञ्चfन जमtब्र निद्रब ब्रां #ौहिब्र कँ६ञद्धि झईT श्राक॥ डहे निबग्न वा नैौद्धि नकन संवकिँड शहैंबांद्र नट्राइँ कांमद्भा चौकांद्र कश्लेिब, मांडूएवह, "Πε11 η ILπη ετητι πίτε વર્ષ 耶T町 अवका ऋनक भवनङ शहैज* वtइफू gचमहांझाज़ बl चाशैमक बाकौफ़ कांमब्र ऋच कवन नून केहकला कब्रिटळ नाद्रि ना, झिच ॥्र चविभूाङ्ग बांशग्रह्म शब्ाः झाड़ वा चावोंनछात्र विङ्गाक कञ्चककनि निाङ्ग ऋहे इईद्रा फोशश जब अश्रद्राव कब्लिन, ऋफब्राः शच uचटन चांब 'श्रांमां८मा पूर्व कप्कका श्रेष्ठ पप्ञ ना। चाञ्चङ्गा चौवहन ब्रम्बारबला मृर्न ছিকু अक्रएल प्ररवारबचा चांचिक शहैश ॥ ! किक बैशांचा जबचा औकांब्र कब्रेिक, यकকাজে সামাজিক জীবন হইতে ৰে গ্রন্থত