পাতা:আর্য্যদর্শন - তৃতীয় খণ্ড.pdf/৪২৮

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jfrs೩೫ಕ -+-----కీ-ళా बान् जनार्नेौलजिक, अनि*। ३श दूनानौ । প্রাণীর :: foot ঔপন্নালিস্ক'.* झाँझैद्गुष्ठ कानक ৰিছিঃ। এই এশাৰীয় নাটকের কেবল ৰাহাতুর্ত্তিৰ লখিন্ত ঔপন্যাসিক নাটকে சா டி டிசை ब्राद्यैब नाएँदक अबाझर फून गक्रिद्ध इब्र। lo কোন ছয়মান নাটকে সঙ্কজেৰ নার স্বয়া কুসঙ্গ গ্রন্থত্তি পূর্ব্ব স্বল্প * * BBB BBD D S TT TTu DBS यप्कझा बाँध्नष्ठ, कान निद्रष्टुभंबझे ऋध्नीन न:इ पtवह श्राष्ट्रहpsitत अवाडाविक s জলস্বৰ" সংস্থানে পরিপূর্ণ। ইয়াৰ পাত্র CCC BBS BB BBBB BBBBB স্বাক্ষীস্থি, সমাজনীত্তি স্ত্র ছদ্মনীতির विंशौझ निकांझे हैंझाव चैंौछ बङ्ग। कालझे ऐंशन्न कन्प्रं यनई श्रद्द*ई हे शव ऋक् । मृtघंप्लाझांfiहा, ऋएँवश्व बांधौमझ| & जमाछ. ৰিশ্নৰ ইহার লঙ্কা, এবং বিশ্বজনীন नशैनकाइँ हैंहब नीचगा क्ष बझञाकानि । ककड# व्रज्ञtज्ञट्रम 5हें क्लार्इौद्ग मtंक काहाच्च काitबल्ल क्लमक प्ल झEF[*वृद्विक इह}; थl८क। हैशव घडिनtा ह*क-अग्रजौष्क ककम छै*ौलिइ, कचन प्लेझानिड कचन व1 झकिक ♚ झम६झष्ठ झईंट्रक झा॥ वाङ्गाज1 चाब्र६-गटबfझिमौ मfüटक प्राद्रज्ञान প্রণালীৰ অনেক আজ্ঞাপ পাওয়া আৰু। ༩གྲྭ་༥.རྦ་། &Toffl fo{F++qorg+ и###* Fাটৰ আদৰ্শ দি শংসাৱলী লিখিব,খাৰrবন। , * Son Goethe'a "Fanut"

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যুনালী নাট্যপ্রণালীr E: , --ഇ-ബ് - - ப_ _ _ cज* डबड इनि नक घभत्र नृच३ौरड নাটা চলা প্রচাৰ করেন। প্রকৃত বিনাজিম্বানী পাশ্চাঙ্গা পঞ্জি গণ ৰঙ্গেল ৰে শিদিগের সাৱিতা স্নাতী কৃশাঙ্কাৰ f३ग त्वl, टैश* जूनागौ जाहिब निक मफ़ेब्दकञ्च व5मा 5 घfहनद्र-कवंशाङ्गौ बिक *বিধfছলেন। হুৰন্থ মুমি পুৰিৰীৱ নাট্যস্বাক্ষ *ি না স্থাৎ আমরা রাজিল, "ΗΨΗ

  • वाढ़ठ-क्षवृक्ष घाबाएकत्र ক্ষিণস্ক স্বাস্থা নাই। ইrছল চট্টল তুঙ্ক *R** वrन, बटन्ब* कृएन नृझाष्ट्रक मिश्रा এবং দ্বিপাঙ্কে লঙ্ক লিঙ্কা গ্রন্তিপন্ন *বিয়াছেন। ছাদের মতে ৰবি শ্রীক্ত স্বাম্বাস্ত্রণ দুনাদী স্ট্রলিঙ্গলের স্বৰুৰr.

পেলের জম্মুকল্পি। এ প্রকার প্রলাল রাকা লবঙ্গল গ্র জালি লিঙ্গাল ফুরিন্থে স্থা `**|ाः चामानिव मार्गौ नःिश्ामङ्गा' ं॥ যুনালীজাতিৰ নিৰুষ্ট্র মাষ্ট্রামান শিক্ষা *ৰিছিলেন এ কথা জ্ঞাময় ৰুেল স্বজেক্ট প্রতা বিভাগ্রন্থ দড়ি, যেহেতু गएक देिचर्चि: 5 ईटै, जर्ुइ मार्ुक्क छ ग*ि* यूनानों न5 क॥ ८+नई गानून uS BSBBB BS BB BD KTuD DD BBBBB B BB DDD DDGGtE DaS ণের জন্তুকরণ, কাছা জুইলে বর কাছা. | cनई कथा कड़िकt1 cनाञ्च नाईक , कन मा फँछद्र बाबैौत्र नाप्नेक प्रकई मनानौटक রচিত। ৰিক গদেৱ লক্ষণ ৰশিৰার দ্বার স্থৰীক দাবীদশৰ স্থলে মন | । नव नाई। इनत्रनिजाङ बद्रिवाड़ बहकाब