পাতা:আর্য্যদর্শন - তৃতীয় খণ্ড.pdf/৫২৯

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चकांीान-म ॥ , "φ". "Αντί इब्र। नन्नौत-नाहबांकन-#एक नाम्लक गचcन गएकड़, डाङ्गङ, डूडडावा यकृकि जांम|द्धि झावात्र कँट्सक काएझ ॥ वांकबिंक झात्रा-ट्रैक्रष्ट्रिा प्रां प्रांकिट्ज गोप्लकाष्टिमङ्ग शूनाइ-#ाईंौ इह न । गइनाद्र गान्चात्र प्रांइ| आग्रह। बिछा gहfश्रtठनाई, बांनक-गमांtछ १tझ1" नकन घप्लेिइ बांटक, दृन गकन नाज्ञांन* शां★ांश्च জুলালী-নাটকঙ্কাৱক্ষ্মণ একেবারে পরিষ্কাগ कब्लिकन । काश किङ्ग शमन्त्र, काश किङ्ग छड़कड़, बाइ fकइ ८ड़बकत्व, कॅश्वग छ üबtङ्ग झांशब्बई कष्ट्रकञ्चन व कडकांमांश्च

  • ांझांझ| uकाञ्च ***णशनच *

८कञकम् नाप्लेग ककन-नवटच टैबांब्र बक কান্দলিঙ্ক পূর্ণস্তার জন্মস্থান দিচ্ছেন। किक डब्राप्ड कब्रिनु कार्लस कृञ्चकाचौं হইত্ত্বে পারেন নাই। ছায়া পূর্ণচন্দ্র गrिठ जिब्रो भूबिचौं अडिाण कविकाtझन । यक झांझानिक मूंजकाज चङ्कटद्वांद्रव हाहांtवा चनैौह बाँकांशृकौ कामक ऋज 'कषांडांत्रिक कबिंबा ठूनिबाष्कन । नष्कक माझेक नवृह $माखा बिशैन शकेप्नख श्राटूमाiतांकू ऋांझiद्धिक छ मृtन[कृङ्ग ज["हां পনে পরিপূর্ণ। ; প্রাপ্ত গ্রন্থের সংক্ষিপ্ত সমালোচন । স্বামরা মুক্ত কণ্ঠে স্বীকাৰ করি ; কিন্ধ Éहैं:म=झक कार्टू झनैौड । कलिङ्गांड बि, लि, ब्रांप्र ऋश मूfमक ॥ बृणा ५* काना माग्नु । धाझा प्ले नाप्नेकश्वtनि স্বাঙ্গোপাঙ্ক পাঠ কৰি বিস্থিত হইয়াছি । हेशप्ड विना चौकारा नङ्गनिाट्रङ्ग बाक्ट्रिक्च १ ८गाबैौर छगिरब३ इहेrळ ऋनकऋनि झfäज़ का कानकञ्चfन कांब क्रचाञ्चौकूफ इङ्गेब्रltझ् । जइङ्गद्ध छ। झाँक्रोब्लगुम्लाङ्ग-प्लङ्गाकाद्ध ध्रुव बमक द्रङ्गइजि निहिङ आरङ्ग, झाइराँच्न प्लेक्कान छ वत्रकाबांच्च ऋनांचबैौकङ्गन, दकङबांब चनंत कांfrमा ભાવના बक बांज कँ*iा कांज्ञा अकडि माiीन कचिक्ष्वजनिकके अलंक ८मोनिकष्टाढ़ बालानाrछद्र मांचाङ्ग प्राब কাল সাহিত্য-সংসারে ৰে সঙ্কল ছোঁ | झब्लैक झहें एफ़टइ, ठाँच1 ककम*ौज । গ্রন্থকার রোমীৰ জুলিয়েট, ও স্বাক্ষৰেখ, झबेंEङ छविकत घइवांक कāिब्राष्टबन ক্ষম্বৰ জৰিকল আবিষ্কৃত জন্মস্থা ছবিগুলি ****fйніцкія нікі чfин, АГАгчft ना। फट्व फैझांद्र इकननिबैौ इव भै* इहेशनि विशाड नाङ्गूरको विक...१ वा क्रनाञ्चबैौकब्रन डक्बिाब्र चाब्र नरमह नाई। कानिज्ञान व जबइकि-अर्कोकि