পাতা:আর্য্যদর্শন - তৃতীয় খণ্ড.pdf/৫৩৭

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ब्रां*Iझ=ॉम । Հետ, էե-ե माकांकन नाहगाक्रानौ गद्विव८कन ? 4 | প্রকাৰে উৱাৰ ৰিপ্রেৰ আৱশ্যক্ষস্থা লক্ষিত্ব इज ना ॥ छवानि ऍाकांक ह* झनैौ झछ म-थ कब तमिङ्ग। ऋनष्कहैं ब्लिकानि कब्रिtफ कांटखन टट्रक कfब्र जब्रकाङ्ग fक ? fकांब नद्रकfज्ञ এই:-প্রকৃত ন শলালি, मझाझा दृकि नझझाव gज* =गाi*ि* [१मिमrप्लाइ ज्वाfप्लन इच्न । मकालुन হীৰুতুলীপকুয়াল্পী সমস্ত স্বল্প স্ট্রন্থপাদন করিতে পায়ে না। আমি খালের চাল । করিলাম। ভূমি স্থাপত্ত্ব বুলিতে শিখিলে, BBDD DDBB BBB BBSBS S SDDS DS न|ब्रुङ्गा झाम्राद्ध स्वीकाष्ट्र । श्रामाब क्लग | শ্রেণী আছে, স্ট্রোমীয় . রাশঙ্কু বেশী झाइ । ऋांप्रांष्टबन्न निfनमा £ाष्ट्रांच्चन । জানি চাল দিলে তুমি কাপত্ত্ব দিবে। रुिद्ध प्रट्न कब्र श्राघाव यकवनि क" | দয়ঙ্কার, তামার এঙ্কসের চালের দরক্ষার ८कबम कब्रिा विनिमग्न झझेट्न । कब्र छूमि | *किrव न झर चाबि *किन । अङ८व ♛♚ज्ञानं क्रयशूहिंवा निवमएका छना द्वनंन একটা জিনিস দৰকার বাল দংশ কৰিলে | বাঙ্গালী গাঁৱৰ কেন : बांह इसैंक चामड़ gकाल कांगांप्ङ्गङ्ग dवक्लड #प्राष्ट्रवध काइज़ब्रज कfत्र। gहज গাৱৰ হৰ কিল্পে (১) যদি উৎপন্ন *न इत्र कांश इईtग cह* गब्रिव झा (२) आब पांश कैर-ज्ञ इन फ्राश बनि পাঁচ জলে লমান জ্ঞাগ না কৰিয়া একস্থল अधिक नव आप्त क्लात्वि बम किट्सह ना

  • ts, टाझा झईंहश* gत्वञ्च महिंव ह ट्रेल । ইছা ভিন্ন বোধ ছন্ন কোন দেশ গরিব |

BBBB DD KSBBB S S BBBBS BBS ब्लु ब्लु । উৎপত্তির কারণ কি ? শলানি ট্রন্থপঞ্জিয় স্ক্রিনী স্কাৰুণ টঙ্কनबिढे अtशबबन्नन निरर्षन कfāइॉरझन । नई हिनौं ब* बबैौ ब्राकृङ्गैौ श्राङ्ग बब ।। fकनौंब्रहे चाब्रांबन, चिबौंद्र यकौं मा इहैंट्ज़ कँदकङ्ग इहैंट्व मl ॥ ब्रभैौ महिEज fकङ्ग है कईएव मा । चात्र ब्रबैौ ब्रश्शि যাউক, বঙ্গদেশে উৎপাই বা কিৰূপ | হয় আর সেই উৎপন্ধের ভাগই বা কি | 'मके हब न, बांश नकटनहे गझेदक छात्र । } སྣའི་ས།། बकृौ न कत्र किङ्कु ब्रच्चिएक बईछमा *jकांद्र ऋ* इक्वेज ॥ ८छfजात्र | ना ॥ ब्रtनाम् मृFा नाम्लाङ्ग कfब्बटूब हांझा= अकरनब्र'काट्नब काकाब कृबि uडक |*** ॥ंौ ॥ङ्गझंझ॥ नििम। ौिणि ब्रन कार्क्द्रा ब्रिटन, श्रावांब अकचामा बगैंौrफ बकन झब कांन कै६गग्न हब न । πτή η ππ αήπ ΤΗΨΗ ζηfi कांनष्टकृङ्ग जइकाइ ऋांबि यक हैं क्लनl | 7 -- πτή απππ ι στηfή πίτι πται ત્તિ ના તત્તર ના ત્તિ |बद्रकान। झबिझान कविrव८जाबाबनवण कक्न, cनरे अक्षरक बन कनिबनना |कारि, cचावाज वृणक्न ना गरिन ि ==- | नवन कांचंतच नाहेरक ऋब कब्रवक्त्र