পাতা:কাদম্বরী (হরিদাস সিদ্ধান্তবাগীশ).pdf/১২৫

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to 8 कदमबरो पूर्वभागे माखान-स्तन्भयुगखमुपइसन्तमिवी १दएडु इयेन, [न] लाचा लोहित-कौशेयपरिधानम्, [प] भकारयेऽपि क्र.रजातितया [] बदत्रिपताकोदग्र-बूकुटीकराल [२] शशाटपट्टे [३] प्रबलभक्षाराधितया ‘मव्परिप्रच्हीऽय'मिति कात्यायन्धा त्रिशूलं नेवाद्धितम्, [फ] उपजातपरिचयरनुगच्छद्धि [ब] धमवशाद्दूरविनिर्गताभि [४] खभाब-पाटखतया शुष्काभिरपि हरिण शोणितमिव चरन्तीभिजिद्राभिरावेद्यमान खेदो [भ]विष्ठतमुखतया स्वष्ट दृष्ट-दन्ताशुन् [५] द ड्रान्तराल [६] खग्न केशरि


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(ण) इमेति । ऊरुदण्ड़इयेन द्रभमर्दन इतिदानजलेन निखिन क्वणवण म् भाखानस्तन्भयुगख गठबन्धन तक्षदयम् उपइसन्तमिव विशालतायां तिरख,व न्तमिव थालानक्षश्वयुगलादूरुयुगलस्य विशाखखादिति माव । चत्र क्रिोत्चाखड़ार उपहसन्तमियनेनार्थीपमा चाषिप्यते तन चीभबीरैकावयानुप्रवेगरूप सदर । खभाबक्कण्योरु दखइयस्त्र चाप्दानरतकोन सञ्च तुलयताप्रतिपादनाथ मिममन्मलिनमिति विशेषणम् । (प) खाचेति । खाचया खोहित रनौक्कत कौशेष क्वमिकोशीङ्गव पडूबस्त्र परिधानमधीवस्त्र यख तम् । (फ) थकारणेति । थकारणेऽपि क्रोधयच्चकध कुटौकरणकारणाभावेऽपि क्र रजातितया खभावत एव निधुरजातिलन हेतुना बद्धा क्वता विपताका पताकावत् तिखी रेखा यया तया उदयया ध,लुव्या ध.बी कौटिदधग कराख भयद्धर तअिन् ललाटपई पढ़वदिशौण भाखर्दशे प्रबखभनया भरधन्तातुरतया सा मतियाँ परानुरझिरौश्वरै इति ग्राधिश्यसूत्रात् आराधितया उपासितथा कात्यायनबा दुर्गया दैव्या अय मातन्त्र मत्परिग्रह भदौय ममानुयइपामम् इति कृत्वा विशूलेन खकौयत्रिशूलाग्रण भड़ित चिङ्गितमिव तथा च सति कात्यायन्यलुग्रह पावतया देवा थपि मातङ्गमाद्रियैरब्रिति भाव । श्रन्थोऽपि प्रभु लोकेषु खकौयताज्ञापनाथ खानुचरै खचिज्ञ ददातैौति द्रष्टव्यम् । चब कियोत्प्रचालदार । (ग) उपैति। अनुगम्यमा मिति वत्यमाणाया विशेषणक्रियाया भिरिति कन्नुपद वक्ष्यमाणम् तख्तानि पु जिङ्गद्वतौयान्तपदानि विशेषणागि । उपज्ञातपरिचर्य एकत्र विरतरावस्थानादिति भाव । अनुगम्यमानमित्यनेजैव निर्वाहे पुनरनुगच्छद्भिरित्यभिधानेनाथ गतपुनरुक्ततादीष स च तत्परिहारैणव परिहरणैौय । (म) वमेति । श्रमवशात् भध्वगमनादिक्कान्तिवशात् दूरविनिगैतामि' मुखादत्यन्त वहिगैताभि खभाव (ন) মাতঙ্গ স্বকীয় বিশাল উরুগুগলদ্বার, মদঙ্গল লাগিয়া থাকায় মলিনবর্ণ হস্তীর বন্ধন স্তম্ভযুগলকে যেন উপহাস করিতেছিল, (প) আর সে লাক্ষারণরঞ্জিত কেশে বস্ত্র (রেশমী কাপড়) পরিধান করিয়াছিল ফ) ক্ৰোধস্বচক ক্রকুট করিবার কোন কারণ না থাকিলেও স্বভাবত নিষ্ঠুরজাতি বলিয়া মাতঙ্গ, অত্যন্ত ক্রকুট করিতেছিল তখন তিনট রেখা উৎপন্ন হইয়া জাহার ললাটদেশকে ভয়ঙ্কর করিয়াছিল, তাহাতে বোধ ইষ্টঙেছিল যেন, মাতঙ্গ অত্যন্ত ভক্তিসহকারে আরাপন করার স্বয়ং দুর্গাদেলী এই মাতঙ্গ জামার লোক ইহা জানাইবার জন্ত তাহার গলাটে ত্রিশূলধারা চিহ্ন অঙ্কিত করিয়া দিয়াছেন। (ব) চিরকালের পরিচিত কতকগুলি কুকুর মাতঙ্গের পশ্চাৎ পশ্চাৎ গমন করিতেছিল, (ভ) পরিশ্রমবশত সেই কুকুরগুলির জিহা, মুখ হইতে অনেক দূর বাহির হইয়াছিল, সেট জিহ্বাগুলি শুষ্ক (१) क्र.रतया । (९) वडत्रिपताकाधु,कुटिकराले । (१) शलाटफखक । (s) दरविनिगैतमि । (५) द इशन्। (५) दन्तान्तराल ।