পাতা:কাদম্বরী (হরিদাস সিদ্ধান্তবাগীশ).pdf/১৩৭

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የW¢ कादब्बरो पूर्वभागे मन्धमान स्रहपरवशी मद्रचणाकुल (१) कि कतव्यताविमूढ (२) क्रीडभागेन (२) मामवष्टभ्य तख्यौ (ख) । असावपि पाप क्रमेण (8) शाखान्तरे• सञ्चरमाण कोोटरद्दारमागत्ध जीवित भुजङ्ग-भोग भीषण प्रसार्य विविध वन वराह वसा-विस्त्र (५) गधि करतलम्’ प्रनवरत-कोदण्ड़ गुणाकषण व्रणाडूित प्रकोष्ठम प्रन्तक दण्ड़ानुकारिण वाम बाहुमतितृण सो मुडुसु हुदत्तचखु, प्रहारसुत् कूज् ग्रुमाछथ (६) तात् मपगतासु (s) मकरोत् (ग) । मान्तु खख्यशरीरत्वात (८) भयसम्यिण्डिताङ्गत्वात सावशेषत्वा (2) حمدامین همس -به-میره ای که ۶۹۰ سالاریسمسير सन्धिभिरख्यिसंयोगख्यख शिथिलेन क्षथेन । मामाच्छाद चवरह्यानमिलि शैष । मम रह्मणाथ श्राकुली व्यग्न ! क्रीड़भागेन उत्सङ्गदेशेन । धवष्टभ्य भाषित्य थाच्छाद्यत्यथ । (ग) भसाविति । पाप पापातमा भतिशृश स नितानाक्र र असावपि जरच्छवर । सञ्चरमाण इति समख तैौयया युक्त इति रुचादित्वनात्मनेपदित्वादानशू । कोटरदारमवादौयमिति शेष । जैौण स-शरत चरुितख शणवण ख भुशrख छप ख भोगवत् देश्वत् भौषण भयड्रम्। थन रुीपमाखरार ! मीग सुखे स्त्रादिश्वतावईष फणकाययी रित्यमर । विविधवनवराहाणां वसाभि सद्यविनाशनात् मेदोभिस्तत्सयीग रित्यथ विस्रगन्धि श्रामगन्धि करतल पाणितल यस्य तम् । बिख स्यादाम् गन्धि ध दित्यमर ! अतएव विख पर्दनव चामग्रविरूपाथुखामेन पुनगैश्विपदीपाद्नादधिकपदतादीष स च विखकरतलमिति पाठेनव समाधेय । अनवरतकोदण्डगुणाकष ऐन थ्री व्रण चत तेन अड़ितषिङ्गित प्रकोष्ठी मणिबन्धो यस्य तम् । अन्तकदण्डानु कारिण यमदण्डसद्वग्रम् । अवार्थी लुप्तीपमाखड़ार । वामथाङ्क प्रसार्थ कोटरमध्ये विस्तार्य दत्तथञ्च,प्रच्ारी थेन तम् उत्कूजनाम् उच्च खरैण रुबन्तम् तात मत्पितरम् भाक्कथ भानौथ अपगतासु गतप्राणम् अकरीत्। চাবিদিকে দৃষ্টিপাত কবিতে লাগিলেন, তাহাব তালু শুকাইয়া গেল তিনি নিজে প্রতীকার BBB BBBB DDD DBBBBB BBBB BBBBB BBB BBBBB BBB BBBBBB BBBB আচ্ছাদন করিয়া অবস্থান করাই সেই সময়ের উপযুক্ত প্রতীকবি এইরূপ মনে করিয়া স্নেহবশত আমাব রক্ষার নিমিত্ত ব্যস্ত ও কি কৰ্ত্তব্যবিমূঢ় হইয়া ক্রোড়দ্বারা আমাকে আচ্ছাদন কবিয়া অবস্থান করিতে লাগিলেন । (গ) অত্যন্তনুশস সেই পাপাত্মা ব্যাধও ক্রমশ এক শাখা হইতে অপব শাখায় বিচরণ করত আমাদের কোটরধারে আসিয়া যমদণ্ডের তুল্য বামবাহু কোটরের মধ্যে স্কৃিত করিয়া দিল , সেই বাহু, জীর্ণ ও কৃষ্ণবর্ণ সৰ্পেব শৰীরের স্থায় ভয়ঙ্কর ছিল, তাহার পাণিতল, নানাবিধ বন্য শূকরের মেদস যুক্ত থাকায় অপক মাংসের গন্ধযুক্ত ছিল, আব অবিশ্রান্ত ধনুর গুণ আকর্ষণ করায় মণিবন্ধস্থান ক্ষতচিহ্নিত ছিল , এদিকে আমার পিতা উচ্চৈ স্বরে রব করিতেছিলেন এব মুহুর্মুহু চঞ্চুম্বারা সেই বাহুর উপবে আঘাত করিতেছিলেন, তখন সে র্তাহাকে আকর্ষণ করিয়া অনিয়া গতামু করিল। (0 मद्रचाकुज । (२) कत व्यतामूढ़ । (२) विभागेन । (४) कचित् क्रमेणेति नाति । (५) विनित्र । (५) तनक्कष्य । (७) गतासुम्। (८) खख्यलात्। (९) षषशेषत्वात् ॥