পাতা:কাদম্বরী (হরিদাস সিদ্ধান্তবাগীশ).pdf/২১৫

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** 8 कीट्स्बरी पूर्वभागे ग्रावण सुरासुर-हला-वलयित-(१) वासुकि-समाकर्षण-प्रारणभ चखित (२) चरणभर दलित नितम्वात (३) अमृत सौकर-सिज्ञासानीरा मन्दराचलात् (४) (द), नर नारायण चरण मुद्राद्धित वदरिकाश्रम रमणीयात् कुवेर पुर सुन्दरी भूषण रव सुखर-शिखरात् सप्तर्षि सन्ध्योपासना पूत प्रस्रवणाभिस द्वकोोदरीद्दलित-सौगन्धिकषण्ड़ सुगन्धि-मेखलात् (५) अा गन्धमादनात् (ध) बेवाञ्चलिकमल मुकुख वखथितो मण्डुलौक्वती यी वासुकिरनन्तनागस्तस्य समाकष णप्रारम्भ ण चलिताना वरगानां तेषामेव सुरासुराणां पादानां भरेण दलितो मद्दि ती नितग्वी मध्यदेशी यस्य तस्मात् । भमृतख उतिष्ठन्ता सुधावा सौकर वि दुभि सित्ता सानव प्रखदैशा यस्त्र तक्षात् मन्दराचलात् भा भारग्य । पुरा किख नारायणेन कुर्मरूपेण पृष्ठ ध्रुतम् ऊर्ड च विष्णुरूपेण व बाहुभ्यामावष्टय रचित मन्दराचख मन्थन दखम् वासुशिख रज्जु, विधाय सुरासुरा सागर मथितवन्त दृति महाभारतवार्ता । (घ) गन्धमादन विशैषयम्राइ नरैति । नरनारायणयीखदाख्यथीमुन्धी चरणमुद्राप्ति पादन्यासचिङ्ग अढित क्षिङ्गिती यी वदरिकाश्रमस्त न रमणौयात् । कुवरपुरसुन्दरीणाम् भलकानगरौखरमणैौनां भूषणरर्व मुखराणि सशव्दानि शिखराणि एङ्गाणि यस्य तथात् । सप्तर्षीणां मरीच्यादौनां सन्ध्योपासनया पूतानि पवित्राणि प्रस्रवणान्भांसि निझ रजलागि यस्य तक्षात्। तथा द्वकोदर्रण भौमसेनेन उद्दखितम् आम६ि त यत् सीगधिकषण्ड कष्ट्रारसमूहर्खन सुगन्धिम खला मध्यभागो यस्य तखनात् । गन्धमादनात् च। चारभ्य । यदा तु द्य तनिशि ता पाण्डवा ईतवनमध्यासौना चासन तदा द्रौपद्या अभिखाषात् भौमेन गन्धमादनाद् गन्धर्वान् विजित्य सौगधिकान्बाट्टतानौति महाभारतवार्ता । चही ! इत्थमनुपयोगिनौ वण ना खल्वलायुनक्वितस्तनौ तपरिपौवरशरीौरा प्रौढनारीव नितरां विरक्तिमावइति प्रक्कतरसिक्काजाम् । যে সেতুবন্ধ নিৰ্ম্মিত হইয়াছিল। (দ) এবং পশ্চিমদিকে মন্দরপৰ্ব্বত হইতে আবস্ত কবিয়া সমস্ত রাজগণ আসিযা যে তারাপীড় ক নমস্কাব করিতেন। যে মন্দরপৰ্ব্বতেব নিঝরজলে নক্ষত্ররাশি ধৌত হইয়াছিল, অমৃতমন্থনে প্রবৃত্ত বিষ্ণুব বে যুবসমূহেব মকবাকাব অগ্রভাগেব ঘর্ষ ণ যে মন্দবপৰ্ব্বতেব পাষাণসমূহ মন্থণ (পালিস) হইয়াছিল দেব ও দানবগণ অবহেলায় মণ্ডলীকৃত বাসুকিনাগের আকর্ষণ আবস্তু কবিলে তাহীদের চঞ্চল চরণসমুহেব ভারে যে মনার চলের মধ্যদেশ মন্দিত হই,াছিল আর উখিত অমৃত বিন্দুসমূহে মন্দরাচলের অনেক স্থান সিক্ত হইয়াছিল। (ধ) আবাব উত্তবদিকে গন্ধমাদনপৰ্ব্বত ইতে আরম্ভ করিয়াও সমস্ত রাজগণ আসিয়া যে তারাপীড়কে প্রণাম করিতেন। যে গন্ধমাদনপৰ্ব্বত নর ও নারায়ণ ঋষির চরণচিহ্নে চিহ্নিত বদরিকাশ্ৰমদ্বারা মনোহর আর কুবেরের রাজধানী অলকানগরীস্থিত রমণীগণেব অলঙ্কারেব শব্দে যাহার শৃঙ্গগুলি শব্দ মান এব সপ্তর্ষিগণ সন্ধ্যোপাসা করায় যাহার ঝিরজল পবিত্র হইতেছে অব ভীমসেনকর্তৃক কহলীরবন (মুদি সাপল'র বন) দলিত হওয়ায় যাহার মধ্যভাগ সৌরভময় হইয়াছিল। (ন) নমস্কার কবিবার সময়ে সেই সকল (१) सुरासुरावखधित । (२) प्रारम्भचलचरण चलावलितचरण । (३) नितम्बकटकात् । (४) मन्दरात्। (५) मखलात् ।