পাতা:কাদম্বরী (হরিদাস সিদ্ধান্তবাগীশ).pdf/২৬১

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१४& क्षीट्स्बरौ। पूर्वभागे आचार (१) कुशलेनान्त पुर जरर्तीजनेन क्रियमाणावतारणक () मङ्गलाम्, (त) धबलाब्बर विविक्त वष ण् प्रमुदितन प्रस्तुतमङ्गल-( ) प्रायालापन पौरजनेनोपाख्यमानाम, (थ) उपारुढगभ'तयाऽत्,ग तकुलशैखामिव चितिम, सलिख निमबन रा। वतामिव मन्दाकिनीम्, गुह्रागतसि हामिय गिरिराजमेखलाम, जलधरपटलान्तरित दिनकरामिव दिवसश्रियम, (४) उदयििर तिरोहित शशिमरए लामिव विभावरीम्, अभ्यण ब्रह्म कमल विनिगमा मव नारायणनाभिम, श्रासञ्चागस्योदयामिव दक्षिणाशाम, फेनाष्ठतामृतकलसामिव चंोरोदवेलाम, गोरोचनाचित्रित (५) दशमनुपहतमतिधवल (६) दुकूलयुगल वसाना विलासवती ददर्श (द) । (त) चाचारे त । क्रियमाणम् उज्ञारूपेण विधौयमानम् थवतारणके अवतार भूतविषये भोजनौयानयन वेलायां भूतापसारणविषय इत्यथ मङ्गल यस्याताम् । षवतारण भूतादियं वस्त्राञ्चलेऽथ न । ति मेदिनौ । तदानौन्तनतद्देशाचारादिदमइसवण नम् । (च) धवक्षेति । धवखाश्चर श्व तवस्त्र तद्र पी विविना पविवी वषी यस्य तेन प्रमुदितेन ह्रष्ट न प्रतुित चारब्धी मङ्गलप्राय भालापी येन तादृष्टीन परिजनेन उपास्यमान पादसवाइनादिमि सेव्यमानाम् । (द) उपेति । उपारूढगभ तया उत्पद्रगभ तया हेतुना । अयमथ इत सव वान्वैौयते । अन्तगैस कुल शैली यस्यास्तां चितिमिव सलिले निमग्र ऐरावती इस्तौ धखास्ताम् मन्दाकिनी वियद्गङ्गानिव गुद्दायाँ गत श्रित प्ति इंो यस्धाक्ष गिरिराजस्य हिमालयरय खिस्नु मध्यभागभिव जस्तृधरपटीन मेघछन्द न अन्तरिती ब्यवष्ट्रिती कर कर सूयाँ यस्यां तां दिवसधियमिव उदयगिरिणा तिरोहित शशिमण्डल यस्यां ता विभावरौ रात्रिमिव अभ्यण यासव्र ब्रल्लाकमलस्य चतुमखजनप्रस्थानौभूतपद्मस्य विनिगैमी यस्यास्ता नारायणस्य नामिमिव भासद्र अगख्यस्योदयी यस्यां तां दचिणाशां दचिणदिशमिव तथा फेन राहत भाच्छादित अमृतकखसी यस्यां तां चौरोदस्य सागरस्य वेलाँ जलविकृतिनिव खिताम् तथा गीरीचनया चित्रिता दणा प्रान्तर्दशा यस्य तत् अनुपहत आगपरिधानेनापर्युषित লইয়া আসিতেছিল (ত) এইভাবে সেই দে ের ও সই বংশের আচারে অভিজ্ঞ এইরূপ অস্ত পুরস্থ বৃদ্ধ স্ত্রীলোকগ। রাণীর জন্ত খাদ্যদ্রব্য আনিবাব সময়ে ভৌতিক অনিষ্টের নিবারণ কবিবার জন্ত মঙ্গলাচরণ করিতেছিল (থ) এব শ্বেতবর্ণ বস্ত্রেব নিৰ্ম্মল পরিচ্ছদসম স্বত হৃঃচিত্ত পরিজনবর্গ পরম্পর মঙ্গলময় আলাপ ক িতে করিতে রাণীব পরিচয্য করিতেছিল। (দ) গৰ্ভ উৎপন্ন হওয়ায় অন্তর্গত কুলপৰ্ব্বতসমন্বিত পৃথিবীর স্থায়, ঐৰাবত হস্তী জর মধ্যে নিমগ্ন তইলে স্বর্গগঙ্গার ষ্ঠায় গুহfমধ্যে সিংহ অবস্থান কবিতে লাগিলে হিমালয়েব মেখলার (মধ্যদেশের) ন্যায় স্বর্ঘ্য মেঘসমূহে অ বৃত হইলে দিনশ্ৰীব স্থায়, চন্দ্রমণ্ডল উদয়াচলদ্বার BBBB BBBB BBB BB BBB BBBBBB BBB KKS DDSDBBB BBBBB নাভির স্থায় অগস্তোব উদয় নিকটবর্তী হইলে দক্ষিণদিকেব স্থায় এবং ফেনদ্বারা আবৃত (१) अभिचार । (२) अवतरणक । (३) मङ्गल्ध । (४) दिनथियन् । (५) तिलक चित्रित । (६) मणिधवल ।