পাতা:কাদম্বরী (হরিদাস সিদ্ধান্তবাগীশ).pdf/৩১

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to कादम्वरो द्दिजेन तेनाचतकण्ठकौण्ठयया महामनीमोहमलीमसान्धया । प्रलब्धवदग्धयविलासमुग्धया धिया निबच्चयमतिइयी कथा ॥२०॥ ബ്a.പാസ്സ് हिजेनेति । dन हिजेन विप्र ण बाणेन भचतम् भविनष्ट कण्ट्रकौण्ठा वाग विन्यासे कण्ट्रस्य मान्द्य वालखभावसुखभबाग ब कख्य यस्यां तया मइान् यी मनीमोइ बालत्व न चितविकखता तेन मलौमसा मलिना थप्रशंसा अतएव चन्धा स सब्रिरूपषाषमा तथा । तथा श्वलब्धन अप्राप्तीन व दग्धविलासैन पाखिन्थचातृथ्य ग करणेन मुग्धा मूढा तया पखित्यचातृर्याभावेन नितान्तसरखयेत्यथ धिया बुडा इय कादम्वरौकपा निन्द्यत्व इयम् चतिकान्ता इत्यतिइवैौ निक्कष्टत्व भहितौया गूढ़ोऽध स्तु उतक्लष्टत्व थदितैौया कथा कथाख्य काव्यविशेष निवडा ग्रथिता विरचिता । घपरिणतबुद्धिसमये खखिय विरचितति तात्पर्यम् तेन बाखचापख्यजनितदोष सुधौभिर्माज नौय इति भाव । चव प्रथमपार्द हिंकानुप्रास भन्वषु तु इभ्यनुप्रास इत्युभयी ससृष्टि ॥ २ ॥ ---۔ -.-سی -- سیھر ۔۔۔ جس مي۔ م۔۔ এব যাহার যশের কিরণ সপ্ত ভুবনকে শুক্লবৰ্ণ কবিয়াছিল সেই চিত্রভঙ্গু হইতে বাণনামে একট পুত্র জম্মিয়াছিল ॥১৯ যাহাতে কণ্ঠের জড়তা বিলুপ্ত হয় না এব মনের নিতান্ত চঞ্চলতাবশত যে বুদ্ধি মলিন ও সদসদ্বিবেচনাহীন, আর পাণ্ডিত্যচাতুর্ধ্য লাভ না করায় যে বুদ্ধি নিতান্ত সরল , ব্রাহ্মণ বাণভট্ট সেই বুদ্ধি অনুসারে এই অদ্বিতীয় কথাকাব্য রচনা করিয়াছেন ॥২ ॥ ممسند حساسيه هي