পাতা:কাদম্বরী (হরিদাস সিদ্ধান্তবাগীশ).pdf/৩৭৩

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३९६ क्षादंबरी पूर्वभागे लोचना द्रुव तेजखिनी नेच्तन्त, (ल) कालदष्टा इव महामन्त्रेरपि न प्रतिबुध्यन्त, (व) जातुषाभरणानोव (१) सोष्माण न सइन्त, (श) दुष्टवारणा इव महामानस्तश्वनिखर्खोक्कता (९) न ग्टक्लन्युपदेशम (ष) ऋणाविषमूच्छिता (३) कनक मयमिव सर्वॆ पश्यन्ति, (ख) इषश्व इव (४) पानवचिंत्तैन्द्ण्या (५) परपरिता विनाशयति, (इ) दूरस्थितान्धपि फलानीव दण्डवि६र्पोर्महाकुलानि शातयति, همین عجیبی میخی همه (र) भासब्रेति । श्वासन्नन्त्यवी जना इव थन्ध्रुजनमपि नाभिजागति न परिचिन्चति एकत्राभिमानादवत्र झानखीपादिति भाव । पूर्णोपमा । (ख) उत्कुपितेति । उत्कुपितलीचना रुगणनेत्रा जना इव तेजखिन प्रतापवती जीकान् नेचन्र्त ईश्य था नावलोक्य न्त भन्वत्र तु तेजखिन सूर्यादौन् नेचन्त चट्स प्रतिघातान्नावलीकयितुमइन्ति । पूर्णोपमा । (व) काखेति । कालैन महाविषसप ण दष्टा जना डूध महामन्त्र रपि षड गुण्ड्सविषयर्कीत्क्कटमन्त्रणाभिरपि न प्रतिबुध्यन्त बुद्धिर्वगुण्य़ाव्र कत्त ब्यमवगच्छ न्त भन्चव तु महामन्त्ररपि विषवद्यानामित्यथ प्रतिबुध्यन्त च तन्थ मापद्यन्त । पूर्णोपमा । (श) छतुषेति । जनुषा लाच्वधा निर्मिता*ौति जातुषाणि षाभरणागॆौश्व खेीस्राणि तैजखिल पुऋषम् चद्मिश्च न स इन्त । एकत्र ईष्र्यावशादत्यत्र विगखनादिति भाव । पूर्णोपमा । (ष) दुष्टति । दुष्टवारणा भशिचितइस्तिन इव महता मानेन भइड्रैगा य स्तश्व स्तब्धता तेन निश्वखौक्वता सन्त भन्यत्र तु महत् मान प्रमाण यख ताद्वी य स्तन्भ धालानस्तम्भस्तन तइन्धनेन निश्वलौक्कता सन्त उपदैण शिचाम् । पूयाँपमा । (स) ढणति । ढणा धनलालसव विष तेन मूच्छिता प्राप्तमीड़ा सन्त सव पदाथ कनकमधमिव धन मयनिव पश्यति सक्दा तबिन्तावण। दति माव । अत्र निरङ्गकेवलरुपकगुणेत्ग्रेचधीरङ्गाष्ट्रिभावेग सडर । বিনষ্ট হ’য় যায়, সুতবা তাহাবা পক্ষুব দ্যায় অন্তকর্তৃক পবিচালিত হইয় থাকেন (ম) মিথ্যাবদিতারূপ বিষের বিকারে মুখবোগ উৎপন্ন হওয়ায়ই যেন অত্যন্ত কষ্টে জল্পনা কবিয়া থাকেন (ঘ) সপ্তপর্ণ বৃক্ষ যেমন পুষ্পরেণুদ্বারা নিকটবর্তী লোকের শিরোরোগ জন্মায়, BBBB BBB BB BBBB BBDDDBB BBBB BBB BB BBDS BBBD SDS মুমুম্বু ব্যক্তির ন্যায় রাজার বন্ধুজনকেও চেনেন না (ল) চোখ উঠিলে সে লোক যেমন কোন তেজস্বী পদার্থেব প্রতি দৃষ্টিপাত করিতে পারে T রাজারাও তেমন ঈর্ষাবশত তেজীয়ান্‌ লোকের প্রতি দৃষ্টিপাত করেন না, (ব) কী-সৰ্পে দশন করিলে সে লোক যেমন ওঝার উৎকৃষ্ট মন্ত্রেও চৈতন্য লাভ করে না রাজারাও তেমন উ কৃষ্ট মন্ত্রণাদ্বারাও নিজের কৰ্ত্তব্য বুঝিতে BBB BS BBBBB BBBBB BB BBBB BBB SBBBBSBBB BBBS সহ করিতে পারে না, (ঘ) দুষ্ট হস্তী যেমন বৃহৎ বন্ধনস্তন্তে বঞ্চ অবস্থায় নিশ্চল হইয়াও মাহুতের শিক্ষা গ্রহণ করে না রাজগণও তেমন অত্যস্ত অহঙ্কারে স্তব্ধতাবশত নিম্পন্দ থাকিয়া কাহারও উপদেশ গ্রহণ করেন না, (গ) ধনলালসারূপ বিষবেগে ত্রিাস্ত হইয়া জগতের (१) जातुषा इव । (s) মহাৰান नद्मनाख झता ঘদিন। (২) নিজানিছিনা। (४) असय भग्रय असव (५) पारुथा ।