পাতা:কাদম্বরী (হরিদাস সিদ্ধান্তবাগীশ).pdf/৫১১

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५१४ कादश्बरो पूवभरी पूरेण विझलतामभ्यगमम (१) (न) । ताञ्च द्दितोयदशनेन क्वतमहापुखामिव अनुभूतसुरलाकवासामिव देवताधिष्ठितामिव लब्धवरामिव पोताच्टतामिव समासादित त्रैलोक्ध-राज्याभिषेकामिव मन्धमाना, (प) सततसब्रिहितामपि दुल्लभदर्शनामिव अतिपरिचितामप्यपूर्वामिव सादरमाभाषमाणा, (फ) पास्तिवखितामपि ( ) सवलोकरोपर्यवस्थितामिव पश्खन्ती, (ब) कपोलयोरलव" लताभङ्ग धु च सोपग्रह स्पृशन्तो, (भ) विपरीतमिव परिजनखामिसम्वन्धसुप (न) येनेति । येन दीषविकारीपचयेन भकुलीक्रियमाणा भखिरीक्रियमाणाह पूरेण जलङडा सरिब्रदौव विद्रखताम् अभ्यगम सव तीभावेन आप्तवती । यत्र बौखुपमालड़ार तथा सरित् पूरैण विह्वलतामभिगच्छति षन्तुि बभ्यगममिति क्षालभट्ान् पुरुषग्नदाञ्च पूव वङ्गप्रप्रक्रमतादीष सोऽपि च यथा सरित् पूरैष f हजतामभिः गचक्कति तथाइ विह्वलतामभ्यगम मिति पाठन परिइरर्णौथ । (प) तामिति । किञ्च हितौयदशनेन पुण्ड्रौकस्य पुनरवलीकनेन हैतुना ता तरखिकां छतमहापुण्झामिव थनुभूत सुरलोके खग वासी यया तामिव कयाचिद्दवतया चधिष्ठितामाश्रितामिव लब्धवरामिव पीतावतामिव तथा समासादित प्राप्त वंलीक्धराज्य अभिषेकी यया तामिव च मन्यमानाइ पुन पुन पर्यपृच्छमिति परंशान्वय ! थव महापुण्यकरणाद्युत्मचणान् षषामेव क्रियीत्मघाणां मिथो निरपेचतया सरुटि । तथा चात्मनोऽपि मदती पुलितदृश्लेच्छा ब्यज्यत इत्यखड्ारॆण वस्तुध्वनि । (फ) सततेति । दुल्ल भदशनामिक् पुण्डरीकख हितौयदण नेन ६तुनेति भाव । अपूर्वामिव नृतनागतामिव पूव वझाव । भाभाषमा भालपन्तौ । अत्रापि क्रिधीत्य चयी पूव वत् ससृष्टि । (घ) पाख्ने ति । भवापि पुण्डरीकस्य हितैौयदण नेन हेतुनेति माव क्रियीत्चा चालङ्कार । (भ) कपीलर्यौरिति । कपोलयीर्गण्डयी अन्लकखताभङ्ग घु खतावल्लश्वमानस्वलितकुञ्चितकेशकलापेधु सीपयइ सानुकूल्य सादरमित्यथ स्य ग्रन्तौ स्प्रश कुव तौ । उपग्रह पुमान् वन्द्यामुपयोगेऽनुकूलने । इति मेदिनी । अलकलतामङ्ग विति ग्रामै गच्छतौत्यादिवत् कर्मण्यधिकरणत्वविवचया सप्तमौ । আরও কামবিকার বৃদ্ধি করিয়াছিল , (ন) যাহাতে আমাকে আকুল করিয়াছিল এবং BBBBBB BB BBB BB BSB BBBB DDD gBBB BBB S SgSS BBBB BB BB বাবও সেই মুনিকুমবকে দেখিতে পাইয়াছিল বলিয়া, সে যেন কোন মহাপুণ্য কবিয়ছিল, স্বৰ্গলোকেই যেন বাস করিয়াছিল কোন দেবতা যেন তাহ তে অধিষ্ঠান করিয়াছিলেন এবং সে যেন বর পাইয়াছিল ও অমৃত পান করিয়াছিল অব ত্রিলোকের রাজত্বেই যেন অভিষেক লাভ কবিয়ছিল বলিয়া আমি তাহাকে ম ন করিতেছিলাম (ফ) আর সর্বদা নিকটে থাকিলেও তাহাব দর্শন যেন দল ভ এর সে অত্যন্ত পরিচিত হইলেও যেন নবাগত ব্যক্তি– এইরূপ মনে করিয়া আমি আদরেব সহিত তাহার সঙ্গে অ'লাপ করিতেছিলাম , (ব) আর সে পাশ্বে থাকিলেও সকল লোকেরই যেন উপবে রহিয়াছে এইরূপ দেখিতেছিলাম (ভ) অ ব তাহাব গণ্ডদ্বয়ের ও কুঞ্চিত কেশকলাপের উপরে অাদরের সহিত স্পর্শ কবিতেছিলাম (ম) সেবা সেবকসম্বন্ধটাকে যেন বিপরীতভাবে দেখাইতেছিলাম (१) चश्वागमन् अगमन्। (२) पाक्खामपि।