পাতা:কাদম্বরী (হরিদাস সিদ্ধান্তবাগীশ).pdf/৬০১

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é o 8 काट्स्बरी पूर्वभागे चरविषयकुतूहखि वा चेत , मद्दचनमनुरुध्यते वा भवान् (१) सुखदायेि वा (२) आश्वर्ययदशनम, (३) अर्छामि वा प्रणयम्, () ड्रममप्रत्याख्यानयोग्य वा जन मन्धसे, समारुढो बा परिचयलेश , अनुग्राङ्गो वाश्य जन ततो नाइँसिष्फिला कत्तैमभ्यथनामिमाम् (प) । मयौव सङ्घ गत्वा हैमकूटमतिरमणेयतानिधानम्, तत्र दृष्टा च मब्रिवि शैषा कादब्बरोम, अपनीय तख्या कुमतिमनीमोह्रविलसितम्, एकमहो विश्वब्य खोभूर्त प्रत्यागमिथसि (फ) । मम हि निष्कारणबान्धव भवन्तमालीकग्रेव दुखान्धकारभाराक्रान्तोन मद्दत कालादुच्छसितमिव चेतसा, श्राव यित्वा खवत्तान्तमिमं सह्यतामिव गत शोक । दु खितमपि जन रमयन्ति مدیہ-جی. جی.\~ .. ہمہ ... ہمبر पूब इतरुरट इति चरट प्रत्यय । अदृष्टचरोऽनवलीवितपूर्वी थी विषयो दंशस्तधि,न् तद्द५न इत्यथ कुतूध्लमस्या दौति तत् । अनुरुध्यते रचितृमिच्छति रुधिर्दवादिक इच्छाथ । प्र य वा भइीमि तव प्रणयधीग्या वा भवामि । इम मल्लचण जनम् । समारूढ उत्पन्न । भभ्यथ नां तत्र गमनप्राथ नाम् । (फ) मयेति । अतिरमणौयताया निधानभाश्रयम् । मब्रिवि शेषां सव थ व मम समानाम् । कुमत्या कुत्सितविचारैण यी मनोमीइषितधम त्वयि सशीकायाँ नाइ पाणि याइधिष्यामि इत्य व रुपतख विखसितम् श्राचरितम् भपनौय उपदेशेन दूरौक़त्य एकम् भन्नेो दिवस विश्रम्य श्वोभूते परदिने । (ब) ममेति । हि निधितम् । निष्कारणबान्धव मदृदु खश्रवणन दुःखितचितत्वादुपदेशश्रमाच्चौकाराय ति भाव भवन्तमाखीक्य व विद्यमानाया मम दु खान्धकारभाराक्रान्त न चेतसा महती दौर्चात् कालात् परम् उच्कृसित भिव प्राणितमिव इयन्त काल यावन्द्म तमिवासीौदिति भाव तथा ड्रम खद्वत्तान्त यावयित्वा विदामानाया मम शैोक सद्यतां गत इव शोकधीभे च द्रदय प्रखाप रैव धार्यत इति न्यायादिति भाव । ननु कुत एतदित्थाइ-दु खित করাটা যদি অত্যন্ত পরিশ্রম কব বিবেচনা না করেন কিংবা কোন গুরুতর কার্ধ্যের ব্যাঘাত না হয় অথবা পূৰ্ব্বে যে দেশ দেখেন নাই তাহা দেখিবার জন্য আপনার মনে যদি কৌতুহল থাকে কি বা আপনি যদি আমাব অমুবোধ বক্ষা করিতে ইচ্ছা করেন কিংবা কোন তাশ্চৰ্য্য দর্শন করা যদি আপনার মুখ জন্মায় অথবা আমি যদি আপনাব প্রণয়ের যোগ্য তই কি বা যদি এই ব্যক্তিকে প্রত্যাথ্যান করা অকুচিত মনে করেন অথবা আপনাব সহিত অমাব যদি পরিচয়ের লেশও জন্মিয় থাকে কিংবা এই ব্যক্তি যদি আপনাব অনুগ্রহের যোগ্য হয় তাহ হইলে আপনি আমার এই প্রাথন নিষ্ফল করিতে পরিবেন না। (ফ) অত্যস্ত সৌন্দর্ঘ্যের আবাসভূমি সেই ছেমকুটপৰ্ব্বতে আমারই সহিত গমন করিয়া সেখানে আমারই মতন কাদম্বরীকে দেখিয়া ত হার কুসংস্কাবজনিত চিত্তভ্রমেব আচরণ দূর করিয়া এব একটা দিনমাত্র সেখানে বিশ্রাম করিয়া আ রি পরদিন ফিবিয আদিবেন। (ব) আপনি বিনা কারণেই আমার বন্ধু হইয়াছেন , মৃতরা আপনাকে দেখিয়াই আমার চিত্ত দু খান্ধবারে পরিপূর্ণ হইলেও বহুকালের পর যেন উচ্ছসিত হইয়া উঠিয়াছে এব আপনাকে নিজের এই (१) भवन्प्रति । (२) अतिसुखदायि वा । (३) भवबिरदशनम् । (४) थईंसि वा प्रचयम् प्रचयनिमम् ।