পাতা:কাদম্বরী (হরিদাস সিদ্ধান্তবাগীশ).pdf/৬৬৭

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६९४ वादडबरी पूवभाग सुइज.भिकारभदतीतानकरतलतया तद्गोत्ररुखखनभिया निरुचवदनेव, (ठ) सुडुर शुकपल्लव ताडित निश्खासामीद (१) लुब्ध मधुकर सुखरतया प्रस्तुतान्नानेव, (ड) सुइरनिल-गलिताशक सभ,म ( ) दिगुणोक्कत भुजयुगल प्राष्ठत पयोधरतया दत्तालिङ्गनसच्नव, (ढ) मुडु केशपाशाक्कष्ट कुसुम पूरिताञ्चलि-समाघ्राण लोखया छतनमखारेव, (ण) मुडुरुभय-तज नौ भ्रमित मुताप्राखब्बतया ( ) निवेदित” द्रदयोत्कलिकोद्गमेव, (त) मुडुरुपहारकुसुमखखन विधुत-करतलतया कथित निरुले तारके कनौनिकाइय यस्या सा लिखिता चित्रितेव सती कादश्वरौ विलोकयन्तौ तावदवतख्य इति बच्य माणेनान्वय । उत्तरत्राप्य वमन्वयी बोध्य । अत्र कियीत्य चाखडार । (ठ) मुड़रिति । अ भिकाया गावगङ्गस्य भारको दश व्याशमुखीपरि स्थापितम् उतान करतख यया तस्या मावस्तया हेतुना तस्य चन्द्रापौडस्य यदृगोत्ररुवलन श्वान्ता नामोच्चारण तङ्गियेव निरुद्धवदना पिहितमुखौ । हेतूत्प्रेचा । (ड) मुइरिति । श्र शृकपल्लवेन वसनाचलेन ताड़िता निश्वासस्य चामीदेन सौरभेण लुब्धा ये मधुकरा धनराशमुखरतया शब्दायमानतया प्रस्तुतमारब्धम् भाष्ठान यया सेव । भाझानप्रशावीत्मचणात् क्रियीनैर्म च । (ढ) मुऽरिति । भनिलेन वायुना गलिते स्तनमण्ड़खात् पतिते भ शुके उतरौयवसने सन्ध्र मेण त्वरया दिग्रथौकृतम् उपर्यधीभावेन वचसि खापित यइजयुगल तेन प्रावृतौ भाच्छादितौ पयोधरौ स्तनौ यया तखा भावतया हैतुना दत्ता भालिङ्गनाय सज्ञा सड़ती यया सैव भुजयुगलेन भालिङ्गमप्रकारकरणादिति भाव । क्रिथीत्मघा । (च) मुझरिति । केशपाशादाकृष्टरानौत कुसुम पूरितस्य भञ्चलै समाघ्राणस्य लौखया विखासेन छात गमखारैव प्रा श करकपीलसयोगादि त भाव । क्रियोन्ग्रेचा । (क) मुऽरिति । उभयतश नौभ्यl च मत मुङ्गाप्रालम्ब भौतिकक्ारी यथा तस्या भावतया हॆतुमI निवदितैी চিত্রিতের ন্তায় থাকিয় বার বার দেখিতে লাগিলেন। (ঠ) কখনও হাই তুলিতে আরম্ভ কবিবাব সময়ে মুখের উপরে উত্তানভাবে করতল স স্থাপন করায় ভ্রমবশত চন্দ্রাপীড়ের নামোচ্চার। হইবার ভয়ে যেন মুখমণ্ডল আবৃত করিয়া বার বার চম্রাপীড়ের প্রতি দৃষ্টিপাত করি ত লাগিলেন। (ড) কখনও নিশ্বাসেব সৌরভলোভে আগত ভ্রমরগণ বস্ত্রাঞ্চলদ্বার BBBBB BBB BB BBBSBBB B BB BSBBB BBB BBBB BSBB BBB আরম্ভ করিয়া বারংবার দৃষ্টিপাত কবিতে লাগিলেন। (চ) কখনও বায়ুবেগে উত্তরীয় বসন পতিত হইলে তাড়াতাড়ি ভুজযুগল দ্বিগুণ করি। তাহাদ্বার স্তনযুগল আবৃত করায় আলিঙ্গনের সঙ্কেত জানাইয়াই যেন বার বার চন্দ্ৰাপী ডর প্রতি দৃষ্টিপাত করিতে লাগিলেন । (ণ) কখনও কে কলাপ হইতে কুমুমসমূহ আনয়নপূর্বক তালদ্বারা অঞ্জলি পূর্ণ করিয়া তাহার অস্ত্রাণ বরার ছলে নমস্কার করিতে থাকিয়াই যেন বার বার চন্দ্রপীড়কে দেখিতে লাগিলেন। (ত) কখনও দুইটী তর্জণী অঙ্গুলীদ্বারা মুক্তার হার ভ্রমণ করাইতে থাকায়, মনের উৎকণ্ঠ জানাইয়াই যেন বাববার চন্দ্রাপীড়ের প্রতি দৃষ্টিপাত করিতে লাগিলেন। (খ) কখনও (१) नि श्वासामीद । (९) प्र शुकसवरणसम्भ म । (३) प्रखण्वतया ।