পাতা:কাদম্বরী (হরিদাস সিদ্ধান্তবাগীশ).pdf/৮৩

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६२ कादब्बरो पूर्वभागे फल-शकले (१) अनवरत-निपतित-कुसुमरेणु, पाशल पधिक जन रचित लवङ्गपशव सखरे प्रतिकठोर-नारिकेल केतकी करीर वकुल परिगत प्रान्त ()ताम्बूलो लतावनड-पूग-षणड़ मणिड़त व नलचह्नो-वासभवनरिव ( ) विराजिता लतामण्ड़य , (प) उन्झद-मातङ्ग कपोलस्थल गलित-(४) सलिख-सित नेव निरन्तर (५) मेखलालतावनेन मदगन्धिनान्धकारिता, (फ) नख-सुख लग्नभकुभ सुताफख ہے۔ جء ു. -്.ു :مہs ه------------------------------- *Y. .یہ یہ حم. AYSAAAAAAS SASAAAA MM AeS eeeS *ستمہم م ബ് ു. दैबैौनां चरणाखनकरसै पादख्यितखाद्याद्रव रञ्जितेनेव रज्ञावर्णोंछतेनेव पल्लवचयेन तरुखतानां किसशयस*** सच्छादिता चाडता । अत्र लुप्तीपमाक्रियौत्प्रेक्षयीरङ्गाड़िमावेन सहर । (प) यकेति । ग्रककुलेन कौरपचिसमूहेन दलितानां चखुपुटेन खखिताना दाड़िमौफजानां द्रव रस चाद्राँझतानि स्तिमितानि तलानि निबवशि भूमयी येषा त । इस प्रभृति ठतौयान्तानि वच्यमाणख खतानवहप रित्यख विशेषणानि । अति पलेँनि तागत श्वस्त्र कपिकुख वाँनरगर्ण कयितेभ्य सञ्चालितेभ्य कपिल्ल व्यक्षरु विशेषेभ्ष श्रुतानि पतितानि पल्लवफलानां शकलानि खण्डानि येषु त । अनवरतनिपतितानां कुसुमानां रंपनि पराग पांशुला सध,जौकास्त । पथिकजन रचिता उपवेशनाथ निर्मिता खबङ्गपल्लवानां सखारा आसनानि येषु d । भतिकठोरा नितातकठिना परिणता इत्यथ ये नारिकेला खनामप्रसिद्धद्वचा कैतकोऽपि तथा करीरा पत्रविईौना सकण्टका इचविशेषा वदुखाश्व त परिगता परिवटिता प्रान्ता पर्यन्तर्दग्रा येषां त तान्च,खौखताभि भबनड परिवेटित ६त पूणपख गुवाकाचसमूर तेन मण्डितभूषित थतएव वनखच्या काननबिय_ वास भवन रिव वासय६रिव लतामखप मखपाकारधारिणीभिग्नि নিনি विराजिता शैमिता। अत्र दाखि फ्रक्षष्ट्र३थ দ্বিবন্ধ সাপ্লাংথাম্বলম্বরদমল্লম্বন্ধ रतिज्ञार्थीशिा वनलीवासभबर्नेविति जात्य त्योचा च भजधीमि थी निरपेच्हतया ससुष्टि । (क) उन्मदेति । उन्प्रदानां मातङ्गानां इतिना कपीखखालेभ्यो गखदेशेभ्यो गखित सखिलम दजल কোথাও বা হস্তিশাবকগণ শুণ্ডদ্বারা তমালবৃক্ষের পল্লব ভঙ্গ করায় সৌরভ নির্গত হইতেছে SDS BBBBB BBBBS BBBBBB SBBBBBS BB BBBB KBBBB DDD BBB কান্তিসম্পন্ন পল্লবসমূহ ইতস্ততে ভ্রমণকারিণী বনদেবতাগণের চরণের অলক্তকরলে যেন রঞ্জিত হইয়া কোথাও বনভূমি আচ্ছাদন কবিয়া রচিয়াছে (প) নানাবিধ লতা পরস্পর মিলিত হ র কোন কোন স্থানে মগুপের আকার ধাবণ করিয়া রহিয়াছে শুকপক্ষিগণ চঞ্চুম্বারা দাড়িম্বফ লর বীজ (দান) খণ্ডন করায় তাহার রসে সেই লতামগুপের তলদেশ অ’ হইতেছে অত্যন্ত চঞ্চল বানরগণ কম্পিত করায় কমলাবৃক্ষ হইতে ফল ও পল্লব, সেই লতামগুপের মধ্যে পতিত হইতেছে অবিশ্রাপ্ত নিপতিত কুমুমসমূহের রেণুতে লতামণ্ডপ গুলির তলদেশে ধূলিময় হইতেছে, নারিকেল কেতকী (কেওয়), করল ও বকুলবৃক্ষ সেই লতামগুপসমূহের চতুর্দিক বেষ্টন করিয়া রহিয়াছে, তাম্ব ললতাবেষ্টিত গুবাকবৃক্ষসকল সেই লতামগুপসমূহের শোভা বৰ্দ্ধন করিতেছে , স্বতবা, বনলক্ষ্মী বাসগৃহসমূহের স্থার অবস্থিত (१) कर्छीख ग्रबल । (९) कैतकोपरिगतप्रान्त । (३) वासभुवन रिव । (४) श्रवच प्रखवण ! (५) अनवरत् ।