পাতা:ঢাকার ইতিহাস দ্বিতীয় খণ্ড.djvu/৪৯০

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888 छांकांब्र हेडिहांज ।।' [ २ग्न थ७ छैोहाङ्ग निकाले अएमक ब्लङ्ग cबषिब्र cदीप्णिब्र ब्रोछ। छैहiएक बनिएणम, *«हेहांटन ब्रांछ1 दां श्रणब्र cकांब cणां८कब्र निडा कांमा, अषंदी वङ अकृच्प्डि कब्री श्रृजान्न बछcव cब जवा खेनरिङ कब्र श्रेबाप्रु, পূজা শেষ হইলে সেইগুলি ৰোগীদিগেরই প্রাপ্য হইৰে, অন্ত কাহারও ७हे जटवा अविकांब्र मांहे' । हेइ छनिब्रां दणtनव ब्रकखांबांब्र ॐiशं८क ৰলিলেন, "ছে ৰোগিরাজ, পরের দ্রব্য ও সম্পত্তি প্রভৃতিতে লোভ করিও अt ' cषांजिब्रांज बणtवtवब्र ७lहे बांरका यनींश्ठ श्हेब्रा 5त्रू ब्रडबर्न कब्रिव्र दणप्नवटक चब्र६ बणभूर्लक ॐाशंद्र निकछे श्रेष्ठ ठाफ़ाहेब क्प्णिन । জলস্তয় রাজপুরোহিত রাজার নিকট উপস্থিত হইয়া আদ্যোপান্ত বর্ণনা করিল। সমুদয় ব্রাহ্মণও বলদেবের অপমানে জাপনাদিগকেও অৰমানিত মনে করিয়া ৰোগীদিগের শাসনের জগু রাজাক্স নিকট অভিযোগ উপস্থিত করিয়াছিল । ফলে খাজা ৰোগীদিগেরদর্পচূৰ্ণ কৱিৰায় জন্য ভীষণ প্রতিজ্ঞ করিছিলেন। रूबूङङ्ग-थनज७ बझांग-फग्निाङ हांन थांसं रुहेब्रांरह । खङ्गेकवि যুদ্ধৰাজার পূৰ্ব্বে ৰত্নালের পরিজনবর্গের সহিত বিদায়-ব্যাপার স্বেরূপভাৰে বৰ্ণনা করিয়াছেন, তাছাভে ৰঙ্গালের দৌৰ্ব্বলাই পঞ্জুিষ্ট হইয়াছে । ङिनेि णिक्षिशिांप्ाश्न- -

  • चषं वर्षांखाग्न थांtएं धनबल्लकां९ छ्वांक्वलां९ ।। ৰিক্রমপুরমধ্যে চ ৰূমিপালগ্রামে তথা । शांशांश्नाम dह्मणक्षश्िंणौ पूषां गङ्गूशांशंखः ॥ शत्रौ शूंष् ६ बङ्गाणां विश्षणश् छक्षी । अनबा बांख्द्र बैौरडा गराणिचत्रकूचनन् ॥ बिtषां२अररख ब्रांबान दांच्णाङ्कणिङरणाकदैवः ॥ कवि नाॉषचिवर कूक कि९ cब बाष अखिलद ॥ च्रक श्रद्नरशक्षप्नो बाजा नभूत्राणिचा उtः शूनः ॥