পাতা:বঙ্কিমচন্দ্রের গ্রন্থাবলী (নবম ভাগ).djvu/৪৩

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ধৰ্ম্মতত্ত্ব । घांश= चशrtब्र ভক্তি । छैचtब डखि !-घ्नंiखिलT । खङ्ग॥ Cौयड*बद्चैङाई खखिडटखब्र थषांन ऑइ। किरू शैटछांड छखिडज़ cठांभांटक बुशॉईबांबू जांtनं जैडिशनिक थषांकटष cवटन बडप्लेइ छङिडञ्च चग्रह, wडांश ८डtभाitक ॐजांब छfज ॥ cराcन ७] बादl eथांब्र नांदे,हांटचांत्री छैननिबटन किहू चांटक, हैदा बजिब्रां६ि॥ शांशं च्यांtछ्, खांबांब्र अहिङ *ांखिला प्रशबिंब्र बांध সংযুক্ত । निश । विनि खखिएटबच्च थ८*डl ? গুরু। প্রথমে তোমাকে আমার বলা কর্তব্য cब, झुढे जन *ांखिला झिटणन, cबांश इब्र, ७कछत्र • উপনিষদ্ভূক্ত এই ঋষি, আর একজন শাণ্ডিল্যস্থত্রের तथtवंख्ठ! I aयंथंटशांखा अंiखिणा थांधैौन कषि, दिउँौग्न শাণ্ডিল্য অপেক্ষাকৃত আধুনিক পণ্ডিত । ভক্তিস্বরের ৩১ জুৱে প্রাচীন শাণ্ডিল্যের নাম উজ্জত ছটয়াছে। चिबा । चषंबा यमन हहेरठ *itब cय, चांधूनिरू क्रूखकांब्र aयांकौन कविब ब्रां८भ जांनंनेांब्र &इथांनि চালাইয়াছেন। এক্ষণে প্রাচীন ঋষি শাণ্ডিল্যের মতই सTक्ष]] कुन । ७क्र । ६७ीर्णाळकटब cजड़े aवंiल्लेोन शक्तिधनैो छ ८कांन &इ वर्डधांब नांझे । ८वनांख-एम्बब्र नंइब्रांकांर्थी যে ভাষ্য করিয়াছেন, তন্মধ্যে স্বত্রবিশেষের ভায্যের छांबांर्ष हहैtठ cरूiणऊक नां८इब ७ईक्कन जष्ट्रशांन করেন,পঞ্চরীরের প্রণেতা এষ্ট প্রাচীন ঋষি শাণ্ডিল্য। , ভাৰণ কইভেও পারে, না হইতেও পারে ; পঞ্চরাত্রে क्लांनंबष्ठ थर्च कर्षिङ छहैंब्रांटक्क बtछे, किरू ७ईक्लनं সামান্ত মূলের উপর নির্ভর করির স্থির করা যায় না যে, শাণ্ডিল্যই পঞ্চয়ারের প্রণেতা। ফলে প্রাচীন ঋষি শাণ্ডিল্য ৰে ভক্তিবর্ণের একজন প্রবর্তক-ভাহী बि८वकञां कब्बिद्ध्वांक्ल चटनक कjब्लब चां८छ् ॥ कfषंड खांटबा खांनबांनॆी अंकब्र, खखिादांनॆी अंiसिरणाग्न निन्छ। করিয়া বলিতেছেন “বেদপ্রতিষেধশ্চ ভবতি । চতুৰু বেদেষু পরং শ্ৰেয়েছিলঙ্ক শাণ্ডিল্য ইদং শান্তমধিগভৰান ইত্যাদি cदशनिनांकर्ननां९ ॥ ठणवांशगघडl uषां कछन हैडि जिह्वड 1* चर्षदि हैशं८ड cबद्दनब्र बिंदथठिरवष इदैरष्ठद्दछ । So छछूरदर्षzन =ब्र१ cवंबs लांछ बां कब्रिब्रां कांख्णिा थहै तांज़ जर्षिर्णयब कद्विब्रांहिरणन । बहै जकण cवननिन्दां गर्जन कब्रांब जिक ० हर्क्रख८झ ८ष, ७ जरूण कब्रन जणघड । निंबा ॥ किड ७ई ●धंiछैौन इ*द अंiसिणा छडिन्बांटन कङघूब्र चयनग्न इहैबांछ्रिणन, खांश छांबिबांब्र কিছু উপায় অাছে কি ? खङ्ग। किडू चां८छ् ॥ झांzनांना छैनंनिषदवब्र कृडैीब थनां#ारूब्र कडूर्कनं चषTांब हईtड बक श्रृंख्रिाउज़ेि, धरान कब्र । “সৰ্ব্বকৰ্ণ সৰ্ব্ব কামঃ সৰ্ব্বগন্ধঃ সৰ্ব্বরসঃ সৰ্ব্বমিদषष्ठांप्रवांश्बांख्ग्रबांक्षद्म Gष ष बििवश'ब्रि tषखश्बटैकङषिङs caवंडTiछिनछबिष्ठांच्चेौठि शचुछ छांगकां न बिफ़िकिजांशखौडि इ न्यांइ *ांखिलाः ।* অর্থাৎ, “সৰ্ব্বকৰ্ম্ম, সৰ্ব্বকাম, সৰ্ব্বগন্ধ, সৰ্ব্বৱস, এই জগতে পরিব্যাপ্ত বাক্যবিহীন এবং জাপ্তকাম cरष्ट्र चांनcब्रब्र जटनच काञ्चन न । बरे चांबांब चद्द्विं वाताटाङ्ग षट्षा, इंबिरॆ बच ।। ५ारै-cणांश् एकैटङT चत्रणरङ हहैब्रा,दैशंरकई छ्न्tटे च्षकूर छर्कब्रिब्रां पंiकि । বাছার ইহাতে শ্রদ্ধা থাকে, তাছার ইহাতে সংশয় থাকে না । ইহা শাণ্ডিল্য বলিয়াছেন। ७ रूष बफ़ जर्षिक पूब cनन ब ।। ७ गकण छैननिबटमब्र खांनवांग्रेौब्रां★♚ खजिम्न शंizकन ॥ *खइंग्लां* कधी छख्विांछक नटझ् बds, छरब व्यंकां पंiकिरण जरचंद्र ६ॉरक ब्रां, ७ जकल छखिाब कषां दdठे। किरू बांगण रूषंib cदनांख्णां८ब्र श्रांeब्र शांब, cववाँखनांच्चख्खै। शकॉनव्हाँकांशी छैनंiणनां *८चञ्च दTांथTांच्च बजिघ्रlcछन-*ॐiांजनांनि जूख*बकविबब्बकयांननवTां★ांबक्लश्रृंiथेि ध्वांख्रिशाबिच्चांशैनि ॥= ७थन ७क चन्नषांवन कब्रिष्टां दूश । श्चूिषप्{ धैचंtबद्ध विदिष रूब्रन जांटह-चषबा छैचंबरक शिबूबां छ्रे ब्ररू८ष वृशिद्रां चां८क I छैर्दब्र-निख१ ७वद धैर्दब्र ज७१ । cठांबांप्नब हैराग्नजौ८छ बांशं८क "absolute* wi“unconditioned” wCw, wfwfî firs% i . fifä নিগুণ, তাহার কোন উপাসনা হইতে পারে না,বিনি নিগুৰ্ণতাহার কোন গুণান্থবাদ করা ৰাইভে পারে না, ffafterofloticvin Conditions of existence নাই বা বলা যাইতে পারে না—উীহাকে কি ৰলিয়া छांकिब ? कि बलिब्रां ॐशंच्च ठिखा कब्रिब ? जख७ब ८कखल जख१ छैवं८ब्रब्रएँ खेनांगनां हदे८ड लां८च्च । नि७१वांटन ऎनांननां नांदे । न७१ बां खडिम्बांबँी, जर्षीं९ अंiखिणTांनिई ॐांननां रूब्रिटङ *ां८च्चन ।