পাতা:বিশ্বকোষ অষ্টাদশ খণ্ড.djvu/২১১

এই পাতাটির মুদ্রণ সংশোধন করা প্রয়োজন।

(ইতিহাস ও চরিত) { ২১৩ खिुक गरिन्छाइ कश dरे भूखक पबिहे चाँदें । देशञ्च नक् नरथा ४४७ । ब्रांथ eथसांभाँक्रिछाओं कॉंग्रेज अथन चरमरकन्नरै नप्रिंश्लेिख । भ्रॉबङ्गांव पन्न कशभद्र नोब्रश छोषांश ऋषहै दू९-म झिणन, €ांशज थरे श्रृंखएक नाइश छांबांब्र लकeणि অত্যধিক পঞ্জিমাণে গজিবেশিত হইয়াছে। এই পুস্তকেয় আচমাkääाँगैौरङ*छब्रहमांडू ग्रैौछि गश्ब्रकिङ इह माँहै। छांब अशिकांश्धं ‘हरणहै वाॉकब्रनंइटै, eथाअणखांशैभ ७ लांजिङादबिष्ठ । uहे श्रृङ्गक श्रेष्ड निम्ब रूडिभइ भखि फेब्रुख रूब्रcणण SBHHDD DD DD DS DDD DDD DD DDDD DB BBS DYZD EE EDDD DDD DD DDD DDS DBB BBBD DDD αφία ৰাগৰে ৰি গমি সমালেন শি वांशjशवनि करग्रं । भइव१DD L DBB DDGS GBD DDmmDDD DDDD DDDD DDDD कमित परिक । द७भूर्भ इव बाजरें छाश छोशरक्द्र कोरबह लेनद्र बूणणब्र मॉब्रिह ●ोछ कब्लीह शकणfक * DDD BBHBBBD DDBBD DDDBBB BBBD অধিপতি ছিলেন। তিনি একটা সমৃদ্ধিশালী লগরের প্রতিষ্ঠা करझन्, ७षम थे शन प्रदद्रवप्नद्र जडॐङ श्रेत्राइ। बश মহাশয়ের এই ইতিহাসে প্রতাপাদিত্যের জীবনী এবং তৎসময়ের चरमश् छॆिन! विवृच्ठ cवधौ षङ्गि । अषम cष प्रमब्रवन वाॉजांमेिं चांनबनडूण डैौषण जब्रएगा পরিণত হইয়াছে, রাজ গ্রতাপাদিত্যের সময়ে সেই সুন্দরবন শক্তসম্পত্তিপূর্ণ ও জনবহুল ছিল। প্রতাপাদিত্য সম্রাটু জৰबछ भाइएक कब्र क्रिड अचैौकांग्र कब्रोन्न नबाँहै ॐांशंग्र विक्रक দৈত প্রেরণ করেন। গ্রতাপাদিত্য ৰক্ষ্মী ও লৌহপিঞ্জরে श्शक्रं श्वश् । ১৮৫৩ সালে পণ্ডিত হরিশ্চন্দ্র তর্কালঙ্কায় এই পুস্তকের डॉक-•ब्रिक्€न कब्रिध्न देशंब ५क चख्निदग:कद्रव अंकन ৰঞ্জিয়ছিলেন । वृsiड-४v•• firण बांनबांब वह খৃষ্ট-চতি প্রণয়ন काछन। ७३ नूखरक बैौछ***बिंड थक्र केशवर्षिtअब्र गक्खिं देडिशन बर्नेिछ रहेबांटइ ॥ लेकिञ्चl ७ श्चिौखांबांद्र यरे शृणरू थतूनच् श्रेष्ठांश्णि । ड़कल्लल्लब्रिज-भv०४ नोरण और यूजरू वृजिच् इव । इऔिक्লেচন মুখোপাধ্যায় এই পূজকের প্রগেজ। মুখোপাধ্যায় अशनदe cक# अहनिइव क्रुनजद्र नषिड झिगन । यड** किलक्रिब ४ भराक्रांथ झ्कण्डभवब बरेडच्च अदरे प्रति *क्षिaवाच क्रश्च *खं *बेच् श्4 **ंश्च XVIII 参娜 भ्रष्म अध्यानौ थखि एकछ। उक-णइन, जझ्न ७ श्षणा । घीदौकtणtछब ১৮৯৪ সালে জাঁজীৱলোচন মুখোপাধ্যাঙ্ক " भण्झना र चर्ड भ्रस् अशोक झिगम, अिशद्र ऋब चानरू क्रन गरीच्चान भनिऊ ७ बाजूरीभूत क्रमाब करीत नाश्ञिएकज नझ्नङइकनक्रियूछ रत्र नारे १ uरे श्रखरू श्रज मिटा शिक्ष९७९७ कश्रिजहैि “इरे अरु वि गरार क्ज्यान निणय अपोन ०u“ wn tow ननउिपाशिtा कनिकांच्द्र जांनिश1cनौझिजब । दिगूका निकैकडौं ददेश्य एष थtश्च श्रेण च्षकाप्नरे ३धावभिव स्वीकक डच नाप्रुर • चशेन ।' बन शज त्रमा हिन। डि अव५ चशत्र नगिकिक aधनि रकौथजणू#क इनिङ कहिब ब्राविश्वहिरणब व छोइब्रtअषष पूख LLLDD DDD DDDD DDD DD DD BBDD DD DDS 6कमिज !” এই পুস্তকের সর্বত্রই ভাষার এইরূপ প্রাঞ্জলতা ও মাধুৰী नब्रिजभिष्ठ इग्न । ब्रांशैवtणांछम ७ ब्रांबद्रीम वइ महोंनंद्र ५कहे जमzब्रग्न cणांक, ऐडाब्रहे ५क गभरब्रहे cका? Gईजिङ्गांभ करणrखब्र विक्रकड रुग्निएकम । अषक छैछब्रग्न ब्रछमां७धगॉनैौtछ जलाड़ देशभन्त्रीजा हुडे श्य। अयन कि मशब्राब क्लककछाजिब्रउि| রাজীবলোচন যে ১৮০৫ সালে এই পুস্তক লিখিয়াছিলেন, এই ঘটনা জানা না থাকিলে উক্ত সময়ে এই পুস্তকখানি ৰে চিত্ত इहेब्रश्णि, डोरु अष्ट्रमन कब्रl cयक्लङहे अन्छष । क्लकनशtब्रग्न भशंब्रांज झकझाठrब्र जैौवन-दूखहै uई भूढकङ्ग বিষয়। তালুসঙ্গে এই পুস্তকে পলাশীর যুদ্ধের সময়ে বাদাগার अवश्वांगश्झांख नांना कधीं.gष९ झ३ gरू इरल cनौब्रॉनेिक আখ্যানের সমাবেশ আছে । স্নাঙ্গাৰলী—১৮৯৮ সালে এই পুস্তক প্রকাশিত হয়। পতিত মৃত্যুয়র তর্কালঙ্কার এই পুস্তকের প্রণেতা। স্বৰ্য্যবংশের প্রথম बाथ हेर्ुइ श्रेष्ड cशष्णानीब्र भागन কাল পর্ব্যৰ সময়ের জলেক সম্রাটু ও রাজার নাম এবং শাসন সময়ের কথা এই পুস্তকে বিবৃত আছে। পৌরাশিক্ষযুগের ইতিহাসের নাম মাত্র করা হইয়াছে। পাঞ্জপদ্ধতি—১৮১৭ এই পুস্তক প্রকাশিত হয়। ইহাতে প্রধান প্রধান সংস্কৃত পুস্তকেয় পরিচয় লিখিত হইয়াছে। "." দিগদৰ্শন-১৮১৮ সাল হইতে মাসিক পধিকাৰীয়ে প্রকাশিত। हेशहज्र मेडिशनिक अध्नक विदइन थकविड ऐंड ! ইণ্ডের ইতিহাস–১৮১৯ সালে এই ইতিহাস প্রকাশিত হয় | BBB BBBBS BBD DDD DDBBB DDDD S भइवांशक-निः cकणिछ cकब्रि 1 *****कद्र ऑक्रङ aात्र झरेपिछ देही गिछिकि ... cकोकूकोषश् क्लाइदाक् श्रृङ्घा अर्कीगका