পাতা:বিশ্বকোষ অষ্টাদশ খণ্ড.djvu/৩৮

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“লাস ওৰটোৰ কৰে। (সীমি) : তাহার পূর্ব পুরুষ গোপীনাথ, তৎপুত্ৰ মধুরাল, মানদাস ও ধর্ণদাস, কৰ্ম্মনাসের ৪ পুত্র হরিশাল, রাজীবলোচন, স্থৰ্য্যোধন ও কুশলরাম। মদনের পুত্র দেবীদাস, এই জেৰীদাসের পুত্র কবি সীতারাম। কবির মাস্তামহের সামঞ্জামদাস ও কনিষ্ঠ পুত্রের নাম সভায়াম রায়। কৰি ময়ূরভট্টের সম্পূর্ণ অাদর্শ লইয়া निज cोस्रकाश अक्णन कब्रिाप्रुव, काश७ रूपि श्रृङकd चैौकाबू कब्रिग्रांगिब्रांरश्म । जैौकांब्राप्यत्र अरषनि जलि इद९ ।। डिनि ब्रर्जीदडीग्न छद्म श्हेरङ नांना चांब्रख कब्रिझ अडैवणगाग्न শেষ করিয়াছেন। তাছায় ভাষা সুললিত ও মার্জিত, পূর্ববর্তী अकण कथि झहैtङ ठिनि कबिाङ्गद्र श्रृंब्रिकब्र क्ब्रिां श्रिब्रांtझ्म । ७९नtग्न चांगब्रां ब्रांबङ्कषणंष्ट्रज दक् िप्रांमनांब्रांब्रार्थब्र नांभ Stझष रुब्रिद । रेशंद्र ब्रप्तिङ १ॉमजणषबि७ अछि इइ९ ।। রামনারায়ণ একজন পরম শাক্ত ছিলেন, তিনি পূৰ্ব্বৰী কবিগণের ছায় ধৰ্ম্মঠাকুরকে ব্ৰহ্মা বিষ্ণু মহেশ্বরের জনক বলিয়া ঘোষণা করিলেও তাহার গ্রন্থে পত্রে পরে তিনি জাঙ্কাশক্তিরই যেন প্রাধান্ত স্থাপন করিতে চেষ্টা করিয়াছেন। লাউসেন্স হনুभांटमब्र गांहां८था दथम हैशहै cषांब८क बिनांनं खरब्रन, हैझाँहे (थांट्वग्न हेडेtनरी ध्रुsांमङ्गनं शर्थन छब्रशनैौ महांकांशैौक्क८° ब्रभएकब

  • लेभहिठ इदेश देशहेcषांrवद्र कांफ्रांभूखब अश्नकांम ब नाहेक

জন্মভেদী জার্তমান কৰুিত থাকেন, তখন রামনারায়ণের ধৰ্ম্মঠাকুরকে দেবগণের সহিত কৈলাসে গিয়া মহাদেবের আশ্রয় বইতে হইয়াছিল। এ সময় ভক্তের জন্ত রেপ জীৱ হইয়া ভগবতী প্রেমাঞ্জ বর্ষণ ও বিলাপ করিয়াছিলেন, রামনারায়ণের वर्गमाइ खांश जछि कmaशै* मईस्पर्ने कहेबांrइ। फांशब अखि इब cषम बाकृष्टं इधब्रिख् इहेगारश् । क्रुिदनिरछ कि ब्रांप्रमांब्राइtनब्र हॉररू कईमकरणञ्च ७भांश्वांब छां★ चट्नकÉ Éक थकित्ण७ थईन्चरचन्न मूल खेरजस्त्र क्लिड इदेब्राप्रु । ऊं९virछ .श्जि डांमल्लव ४ खेम सिफब्र, शभिलtनद्र DDD DDD DDD DDD BB BBB BBBBBB BBBS 1 * इ६५ मक्कड अंग्य मह्यtवह ज्ञश्रुइ छिाईं । ।