পাতা:সাহিত্য-সাধক-চরিতমালা তৃতীয় খণ্ড.djvu/১২

এই পাতাটির মুদ্রণ সংশোধন করা প্রয়োজন।

ジ。 “。热 अच; शज-बौक्न . 灣" .७क नेिन चाबाrअब पागाइ भाइरूबूरषं कदछब्रिह थक्ष रूहिंद्रा चाबाङ्ग भन्न इन्जिड़ि सेक्रनिच् इश्झा भनि। राबारि श्श्वि अक नद्विगून चढ़नाथाश भधेयक्रौंद्र चांगरू निर्डनप्रिंस अक बशबिना अत्तन कनिशा ५ककै पोकून पनिजी इक्लेिशान कiिtछ जात्रेिण !-***ाङ्ग दाँ*ौढ़ cशांक चtइश्नं कर्मेिंद्र थाशक विभ१ब्रान उिनकान कब्रिग्रा पद्रिा शृश् किनारेश गरेका cअल। क्रुि चांधांद्र cन «बन औरश्न थांब्र कुकैन न । नश्नांड इोज्जिइ गइTांग णहेदाढ़ tसैक श्राथाञ्च चछानिe शांड मॉरे * বরিশালে কঠিন জাম্বাশা রোগে গুরুতর পীড়িত হওয়ায় ৰোগেন্দ্রনাথকে গৃছে ফিরিতে হইয়াছিল। স্বাগুলিতে এক জ্ঞাতি খুড়া ৰাসায় থাকিয় তিনি পুনরায় পড়াশুনা করিতে লাগিলেন। পরে মধ্যম ८छाईठाङ-नूङ चैब्रनिकtशश्न बाकrांभांशाइक कणिकाचाइ रांनाओं चांनिध्न गः नाrश्रदङ्ग छूण अर्डि इब । छैशड़ जाकाशेषभौt७ প্রকাশ : “cनहे नबtा गांधारकब्र दानाञ्च इनिकणाण नृषीनाथाङ्ग बायक छहेमक झाङ्ग शाकिएटम ७ गश्कूङ रुtजtण अफ्रिाख्न । ७क मि टिर्मि ब्रशूद***छ ‘थबदिनान’ *क्लिष्ठहिणम । चfवि छांशब्र जर्ष बृक्ट्ठि नाम्नेि बारें रूिरु tनहे थभृठ-छांशिठ-6नरे इणनिछ विरात्रिमौ इश्व चाभाब कनकूश्tछ cषन थमृठ झाणिहा ब्रिश ।। ८नरे तििब श्रॆष्ठि शरङ्गळ निक्षिसङ्गि हैश् चाषीश्च बडिश्श् ॰वश्ण श्रॆण । चांषि हtrांश्न द९नम्न छेडी4 इहेtठ न शहैtछ गई. गांtइररुद्र कूणब्र *पूर्ष tवनै शहैrछ नरङ्गठ कांगtजद्ध बिंबद्धष cथगैtङ w#ि हरेलाय । cन »vav नागद्र खून भाग-निशlशैक्tिजाश्छ वरणब। छर्थन गत्कृछ कांगछ यरिङ्ग छगझिाङ्ग cनन पछि 1 श्ठङ्गा जङ्गछ 弼