পাতা:সাহিত্য-সাধক-চরিতমালা তৃতীয় খণ্ড.djvu/১৯৩

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• ‘. रैवबांचं क्षणां★ांक्षांश श्रर्षिाच्रे शक्लिब, rस्कन बनव क्रमव •वाकरौ भूबाट गया भपहिी कलेण् भान्तिा वाक्क प्रक पिन भाच्चिादा श्रृंगा अशनिङ छोराश्चिौ दा ठे९॥ *

  • कत्र ३ई वशtन चांबांद्र शtछ-वफ़ि इरेषाश्णि ! छक प्रशभङ्ग दलाहे नरुकांइ चांबांtश्व मtष क्रिकचं षोक्रिटन, फैशङ्गहे कांग्रह दिछांद्भश्च कनिष्ठ शरेरष ।

पापना cनष-“छ किडू छाल कब्रिय1cनवा इहेन मी ? cदां५ कब्रेि, अ# ऋ*इ भू१िशाइ श्रदर्षनके इन चाश् िछर्ति श्रेष्ठांश्णिाव। ॐ इन wपत्रकार थाएं ब्रान गरीच भग्दिाहिनाश। हेrत्रशैरे भग्निजार, ऐ६ चणि जब, वाक्नाcबाणैरे-भकिलाब मा। बावनार चक्र गबिन्द्र बाज fदेण,” । चाँ दणइ दानद्र नशा जोशङ्ग फेथमश्न,-अकाङ्किङ्घीउ श्रेश्झिन। मरश कर्न थाश्त्र निम्नविशांत्र श। ठाशe इौऊ । निइसििभ चोक्दा चार भूलब cझनाम मा। कृक्धत्र कiनरण भग्निरफcनणांश। वर्षम छ#ि हरें, फषब cगनबद्र चसिब कांन, cनहे कांशन चाबांक cगावच्.ज्ञान अर्डि श्रेष्ठ श्रेशांश्णि।“थरिक बि कृक्योङ्ग भङ्ग श्रेज बो । খাবার ঘেী সহােদও কনেপঞ্জি जिबिगैvिच श्रेणय। करीब था-औशन्ति। क्रूयत्रत्र आश्र अनिव। DD DBB BB BBB BuDDD DDDB BBB ttt DD বোধ হয়, ১২৬ কি ১২৬ পালে। ॐ वैौत्कृषभरर्कक्के इस्नद हर्छौश cर्थकैtफ &षब७ः छ*ि शहैं । छशह नद्र विडौइ cथकैtफ $fबांध किहू कांज cनषांटम भक्लेिइििहनांव ॥ cबोइ केनइ इरे क्ण कि किङ्क कब बौदर्य भनिाश्मिाव। अच् कोन भरीच जांशांश ८था# चब्राषिक नैछारे cछनं कड़ेिtछहिणब ।।