পাতা:সাহিত্য-সাধক-চরিতমালা তৃতীয় খণ্ড.djvu/২০৪

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. अशकी * • निनिझांझरी, रेबिdंकार?ाइर थक् हच्रका नक्क्क, अक कजाबकमजाती रहेन७ गथ्री, भाषिक, श्वौग्नि क्क अकसिक रुचिकन क्शनकद अच्। रेवोर शर् गाइप्र कउिद, इबैौछिद्र अज्रिनाश्रु, अर, फैशन बइ शशीद्र क्षिांशै। बार। ॐांशदcश निनिष्कौनन,cर बाबांशष्ट्र, छाश थानानि प्रवृद्ध इमाप्न मारे-८ग वाढ्नङि मांहे। ॐांशद्र बार कक्कर्मयबिाडांत्र केब५ वदू शनि शब२ अखनिज चाप्श, चनात्र cर ध्रुब कङ्ग दृष्ट्रेिश्भर गरी अकिउ र, जारा वा झटार, मा ' ंश्*श्, ऎतिश्७ मीरे ।। *ीशी वत् काश्यः, शशिवं यूक अंशगरि अनिच्रश्। शैमदइ बांसु बउ, उिनि प्लेक शंनि शानमम, श्रडारश्न क्छ 'cशनम्नांनि"िrरू अजूस शश्म बा, क्कि जिगis इंगतः बिषि मारे। ल इग७ =s भट्,ि शं, तिः नश्मैौश् । ‘कन्नङक' वक्छषिाश् ७कथाबि के९ङ्गडे अश् । ° उब्रिड-आकांद्र (*७-कारा) ।। ०२-० नान (९ थाहाधी مه و ا ( حوطة **ीगणरक छै*शब 1 छाब्रड-फेरुाड़ । जक्षया छाग्नेि जांबा बाज। { छबिछ ऐठिशानद ७क शृ1) वैशांशदांन भई-क्बिब्रिड। “One must understand a thing to be abis to enjoy * #" "Every man is a caricature of himself when * you strip him.* कनिकांफा शांबि४, आहेबाँी चैषांtभनखि বন্ধ্যোপাধ্যায় কর্তৃক্ষ প্রকাশিত। ১২৮। 3 - S DDD DDBBBBBB u Stt tttS त्रि- शञ्जन व्शेर राशशशी गि

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