পাতা:সাহিত্য-সাধক-চরিতমালা তৃতীয় খণ্ড.djvu/২১৬

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ਾਂ મિત્ત * ... o, 藻 कशिकिनन र श्वेशभूमिद चक्त , अकान कशिह कीगन श्रेशहिण। किच ८कांब कांइतक्नज्: cन नखछनेि बड़े श्रेझारह, चांद *ाश्वांश्च ८कांम४ छेनांश् नॉरे। रेवनांrषक क्छरे cकङ श्णि cर श्रांभूमिक cनषक्भरक्षर निरिछ इक्वनाश क्षुम्न साक् नारे बनिरण७ छन। डिबि शनििर्छम gद कृषाइ ton०७instinct चर्ष९ि शष्ट्र ७ अकृछि कि दबाइ जा पाक्टिन cन छाषा क्रैिक मी । जांभाrश्इ कर्डशाम बाषाणा भकनक भडूक्लिकैौर्षइि शनिद्राrप्रह छेनड क्छिए, हेशइ बैंक्ब हैोशन भारे। देवनांtषद्र शां★* हिण cर, cणर्षक पांक वारिह हऐtद । ८ष छांदांश्च प* मारें, श्वरप्रांत्र-जtदव महे, छांश ॐ tनाल बिकांदेर म-ब्लैकिएव ब ।। dरे cश्छू फिनेि अकबार बकौकाकरेcनाच्ण नाश।“छैशत्र क्यcनषक, छांबूक ७ ग्रनिक राकानी गांशिण चाब इह माहे, दूवि र भाइ श्रेष्र म॥“ इध्माद किनक्-चढनं रेवनांrषद्र बध्नाक्नैौ श्रेष्ठ रिङ्ग किइ फेकूल करेण *~ . কাজঃ লেদিনিবাৰৰ ফলে ৷ি खेकानन्ति इव बांनश्नि र छाश श्रेण, इयान फान द्रवि० रहेन। अपनcा शप्त्रdौज, गयाच्त नशीब चरध्रे शश श्र चत्र c१ क्षइ चाँकम आंजेिल, अकत्रि यो यिकनि, चक्ेरै खाइद्धि छेणङ्ग इंगाच् श्रेर। कनक नक्न थाशकरे नरिवर्तन भए। क्रया ,