পাতা:সাহিত্য-সাধক-চরিতমালা তৃতীয় খণ্ড.djvu/২৪২

এই পাতাটির মুদ্রণ সংশোধন করা প্রয়োজন।

• * 'औकी '" - $ बनिश्रअवििवश्वि। शर्भान-पशि १धकियकी R་། །ཅི་༢ क्रि श नात्र काकजांशनश्नक्निों रत। ननtश** atr, sirt &twfar« » भाण खाँइहागॆी शrन शर्धो रीरेंडे बिंहरकन हरेtजर्म । उिनेि भानङ्क-भूमेिगाइ, ואיאיא אואזא सषोभिाषाrस्य बिक रश्वित्र ऐषी कदन ! ड्रॉपैत्रश्च गरींह tानि •orनम। उक्न गान इबारेगcभन। ब्रांपेणब हरेक बॉक्ष्य चिन नित्र नष। क्न, बक्न, नाशम् चब्जिय कविता क्रेरक : दु। ४ऋत्राकाबाष अरे नव शीश शशङ गण्य ककिनम । ****** गिरबक्र बन्न क्षम गार श्य, च्ग्मयको स्तृिशनौ झावदानीब गरूि - छैशा नाकार श्। छानबानौं गरिउ चाणान श्रेण। हैक्कमको शर्कनन-चामा छात्रागै बनिन, चनाप्न भाग ८आशा छान छांकरि रा, *न चाबि cआशाश् नाiरेड गीद्वि' जानाशनाष भत्रक इऍक्रम ! , ” sांगबानेौर ऋत्र नाबाद बनेत्रtव शिशिा चानिल। अनशनैौज वामेल क्ष भकई रण अशाक चांक कबिन। cगवान चमक भीष्बाणैश्च धौधूक्ष, झ्णि1 जोशडी बाशन दाबारेश श्राब कश्चिदि** 4क श्नि *rन कानड़ानौद किफी ५क बांबांनी डीtनाकङ्ग बझछ 3. ’ (श्fण,१• शारं ***१,१.७s a s। श्वोश्च+्रणश-शिका (श्is wiश्च श्, ५.४•५° । शिवमिन्ध। असाब rहि लि दुम्क नििछि कि प्रशि1शकिncश्वश्लभीक कशिाझिनर अशा अगाथान (******१,११k •। किशर ***(.***********) मनम७tब्लशिकारकश्च