পাতা:সাহিত্য-সাধক-চরিতমালা তৃতীয় খণ্ড.djvu/২৮০

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प्रारणवश्ख ७ चाण गरेिका እቄ झाब रांग्छिवि वापाश्त्रcको कथाकङ शरे८कनिन प्रु ? प्पाको नूकरेण cक ? इंश्णचैौट्रक वाहेबौ नांबाहेज ८क ? औरङ्ग शैौष्क, चाब्र थuा, निनएक, बिर्डर, कानवान, बूझश*, नबाब*बैौtद्र प्रहादिष ननिहज्रछ ? cनांएक cशषेिप्रीe cबषेिrछ *ां★ बा, दूविघ्नांड विरङ नारद नी-छङ्थाक्ट्ठि चक्र, बूकि पाकिरउ cशक, नःख थारिङ ऋझख्य । cबम ििबगै दाष्ट्रक्रब्रद्र चबूझै cयाबैिो भाम्नाश cश्च बबिहांtइ ! भtश कि क्झिषमा ! निश् भूश्राहणब्र छांक निषिrज्रह, चइ शशङि भूभारणद्र गइ चश्नदन कaिrउइ, cप्रदउ পিশাচের খেল খেলিতেছে । cझऋ-अर्थिकोप्द्र "ी-त्रिका” नौ ५क थछिबष नाश्र्यौं ७ ९ऋण জামদানি হইছে! এই রীশিক্ষাই” সৰ্ব্বনেশে জিনিৰ , তেঁতুলে কেউটের বিধ। কিন্তু ইহাই বাবুঙ্গেয় লখের, লোছাগের, স্ব-ৰোগেৰ नशंर्ष। dरे श्नांश्न-rनदिनै, रुानमांशिरौ, विचाहे थाश्र इश्कैडूरमब्र नzéासश् फूदन -हेशई cषम शtङद्र ८माग्र, गैौषिद्र निमूद ? ईशहे পত্তিগুক্তি, পুত্ৰগ্রেহ, গৃহৰুখ । ইহাই সংসারের সার-গৰ্ব্বৰ। এ শিক্ষা मा वाकिरन कछ कूरनिङ, धनस्रा, यिदाश् चtषांभr । वहt *कबिम, अभ कि फेथधनौक७, ८काश्द्रिविकृबिड वर्गमूढ़? श्रण गाश्शा6 दूरब নিক্ষেপ করিতে পাখি, শুখাচ এ শিক্ষা"-টুকু ছাড়িতে পারি না। अर्षिक कि, दद्वः विषया एहेब बांद्र बाँन वांग कहिंद, उथानि * विक हॉक्लिद भ11 এমনি ৰেrাক, এমনি মোছ, এমনি উন্মত্ততা ! भूकरदइहै केि, चीब्र औरणारकछहे कि,-कांशांबe प्रनिथfङ्ग क्रिद्धांशै। चाजनlनश्4ि अ५ ऋनिकाइ aझ्ठ चर्ष बूकि मl,-क्क्लिफ कॉएव चूंकिदाक्षि,-श्शरेcबारश्नब अषन दून कक्त्र। वैौछ५न विकहरू इनिक* • *