পাতা:সাহিত্য-সাধক-চরিতমালা তৃতীয় খণ্ড.djvu/৩১৫

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' શા છે : जन्तु मृङ्गकङ्ग ििनिछ श्रेढाश्मिन, इर्लन क्क्नचाम ८२ किनिङ श्रेक्ष, अंशrठ चाड़ ििक किं ? tकनकक्ष आहेजक कक्महे इरेशा दिगtर्ष बिष्ठनिछ श्रेनन। ५कश्बि «र ८क्नशत्र दृशैक चरडाद बैtोर श्रृंगिंडा शशा शंकन कश्रिा, चौश अवण शशात्र क्विन शर्ग:न क्षेत्रतत्र चङ्कण cबाडि छैयन दिन अंडिडाछ cपिप्ला झेदन आकारकाश, अझैइ शर्थन निशानश र क्लिफ स्थाको कभिड रुगि ब्रिश्निब (Father - losive them they know not what they do.)—"first, ऐशश्चिtरू क्रय कश्कि, हेशद्या अश्न माcद कि कब्रिख्रइ " cनई SDB D DDDDDD BBBD BBBB BBB BBB DDDD हरेदाश्नि, इथर हेtद्वाबe cगरे क्रिज उपन ७करीब छविशशिननपाँचकि छारादाcर कि करिख्रश्न, उाश कि देिशश জানেন মা ? ***छन्वछ cभरें ५कश्चि-थॉड cनहे ८कलषध्व कश्च বংলর পক্ষ্মে, তেমনই প্রক্ষাঙ্গ স্থানে, তেমনষ্ট,জনতাষধা, তেমনই উচ্চকণ্ঠে, পাতকী ? **बाद इ*प्ल पूष श्रेब्रा पनिरनन-Yet I am a singular man } --"छवानि चूमेि अकबम बिध्यि वामद" । इशैव चवडीtबद्ध পরিত্যঙ্ক লেই উচ্চ বেীষ্ঠে অধিষ্ঠিত কেশধচঞ্জ, জুৰি ५्र 'ंौंौचक्षि' ८श्न- . লং লাল শেষে ঘনে ঘন বানান এ ৰেই পশ্লিষণের মানদও ছং মা ! পোড়। शठस्ोगि ! cडशाङ्ग लग्* कौचैिरफरेबी आहे कीe श्हेण । रैदास्रे कि इनि करू शरेणाशिनं? ধাৰাৰ পৰলেই চিন্তু আমাৰ কৰাৰ স্বৰালিৰে বৈৰুি কৰিলে, छैशद वक् दिक्तेज कमि, दि दिप्लेडि अंविष्ण,-१५ञ। {ं *श्; दच्छानिrभबारू पनि अह-शरेनि रूजर इक् िकचर०।