পাতা:সাহিত্য-সাধক-চরিতমালা তৃতীয় খণ্ড.djvu/৪১৭

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姥馨 ब्रट्रिकञ्चत्रलि विक ♚frव ॥ ८ङइ९ जांभछि कहिदृठ *ांद्रम ८ष अछांछ cयकैश्च ४ भ९झछ छषाच्च कविभ१ dडांइन भाषॆदक भw शबशब कहिडांtइव ; *इक ●ाशीदशक "वहन कह कईथा cव मरw७ अदिछ चांथांtबङ्ग भङ्गारशब श्] चरि, श्चचार श्रव॥ इणनां श्रेष्ठ भारतः ब । `श्ङ्गाक्षौ जोझैब ५ बिक् कछि अकल ब्राजाश्रण अफि श्श् । शाशत्रु éfठ लएबङ्ग (अंश थभtइ अछdfभ* &rहाबम ब्राrर्थ ब । dहैं भएर । च७७१ छ९°t?९ °इाइत्व झारु aछि कषा ?बम् ?बन् भकैक्षनि क्य मा, प्रुा९ टाइ!७ चश्ठाथा अरश् । (ििषथक अ१#इ, १६ नर्क, ४s **, मूं. »ov} মধুমের একেই কি বলে সভ্যতা’র সমালোচনা-প্রসঙ্গে DBDBB DYDD DS kEtB BBE D BBSBBS BBDS DBB বিশেষ মূল্যবান । তিনি লেখেন : चममआरबा प्रश्न माषपहे ¢श्-इऽब:* दूला ठेtws , कि करि, ttS tDDS C DBBBBBBS BBBBBBBS LLL DHHHDtStGGBS BB CDDH BBB Bu DDDD DDD ५t१५५ ष{१tश्र श्लषष श्fेव! षttश्च, cुश्रॆ च:छ्॥ &rौचं १t*५ भः । हेtठाव:१ी रू**प्रिt*ग्न हैrकs **¢श कांशाश्वठxtछ थब-जबtभश्च ऎति-भाँवध करतभ , नहरु शकल करि siशtटहे ठरभइ अtश्म । अर्थtक ५झोक्काश क्षमाtर्ष भारुtक°-दोश्नाहाइ स्थाभारिक दाबाकाका इक्लब कश्द्रि पाररूब । थाशरठ गांठंकरिtअझ क्षरशांश् च इरहेद्र बभव ईचारे sककtान छैनणरु हद । रेह चांश ८षाय शरेष्ठ *t cष शाराब अझैक्णज्रिाभेक भइरणाएक दशाशनि दिा श्कर्ष भिडूछ डाशड कक्*ि शsणांइ थिब्रश रहेrश् ईश्! नष्ठावा भर : श्रृंबक ब्राँकष:इt cश्व-4iभि४ कैद कवेि कश्दिी जिहांtइम ¢ष *तङद्र