পাতা:সাহিত্য-সাধক-চরিতমালা তৃতীয় খণ্ড.djvu/৪৬২

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শৰীমন্ত্ৰ ও বাংলা-সাহিত্য bpरण कि छाथ पटक विद्यौच५ क*८छ, কি শো খেধিৰ, জাং। গুছি এখন , {{म एरेरठ ७ष थॐ श्रावर्डन, भई भूविऔछ छाभ किदिन ५कथन !

  • चवृधेक८कछ किषt विध्चन भछि, cबथिएफ ८रुथिट्छ करु श्श चाक्र्रम । काशत्र छद्रटि राष, रूtन्न अयथछि, बूङ्करर्सक मूरकी, चारा, क्रण cकाबू क्म ? कानि cपरे शरत्र श्णि ४षखडड थाथ, আজি দেখি গেই শ্বাঙ্গে খিখন কাগন ; छौथ१ नमश्च tवाड, कांड, बषिञ्चाथ, कठ ब्राचा, बांबवानौ, काव्र विबभम ? fotषं श्यi८च श्वैश्वः श्रचच, शच्चांत्र नलrलि८चकटूख झाथr, fन६कानण ।

犧 {**णानॆन बूक' ) চন্দ্রকলার গীত धरर्थद्ध tवनाथ भाभ, *्षं-*ह्णं चक्थ्रं; ङ्क ड्रक वzक श्वथैौडच, विचारख ८काकिण नक छtटक *कके कक कइ* - - cकोह्क क्कैशान् वाइँौथम ! , ? মা! খালে বিধি, श्विं नििष्काङ्क्षितः, थणन कट्टस्तव कब्लिकन ?