পাতা:সাহিত্য-সাধক-চরিতমালা তৃতীয় খণ্ড.djvu/৪৭৩

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;4° बौनकछ tशन बुझिना गक्रियामाण, ऋषि sडांछह, हुप्रैरश् गकिशमाच झब दिईन । ८न३ भए किलांभरन भछि निद्रछह, अझ cफ़छानइ भएकई लमांच्म । रुग्न क*, *३ नंछि कमेिं अधुनाइ,পাৰে জন্ম, পাৰে লোক, শ্রেষ্ঠ শ্রেষ্ঠয় । ( প্রভাস' ) প্রধানত: কবিরূপেই বাংলা সাহিত্যে নবীনচজের প্রতিষ্ঠ, কিন্তু গ্য রচনাওৰে তিনি অপটু ছিলেন না, তাছার প্রমাণ পাঁচ ভাগে गशात छैझिांद्र चाङ्गघौरुनैौ 'चांशाग्न छौरम, हांtन इीएन ($काछ बाख्रिशष्ठ कषाद्र श्रांठि५१ गएसू७ हेह शरण-गहिरठाद्र ५कषानि শ্ৰেষ্ঠ গ্রন্থ বলিয়া গণ্য হুইবার যোগ্য । नरौनstखक श्रृंछ ब्रध्नौंद्र मिशर्मनचल्लभ ‘चाशद्र बौदन' श्रेष्ठ लिहू क्डूि ऐकृठि निरः मनस रहेण । dहे जरुल ऐक्लष्ठात्* श्रेष्ठ छैशद्र গছ-কুশলতাৰ কথঞ্চিং পরিচয় পাওয়া বাইৰে। নিপুণ শিক্ষা अबैौम5त्र छैहोच्न थाङ्गसँौश्नौरष्ठ विप्लाजाश्रद्र, बहिश ७ ब्रशैक्षञएवंख्न (व इरि थैक्ब्रिांtश्न, ठाश stरुदttर औरुरु श्हेंद्राटश् । * भकिtठts । १ने पम दशभ७ि हडेरङtझ् । cषांद्ररुद्र थककाव्र छिद्र किहूरे (षिrठईि मां। ७कः कौ५ tशालि, ५कः क्रूण मकब७ কোন দিকে দেখিতেছি না যে, উষ্কাকে উপলক্ষ করিয়া ভাগিয়া খাকি । छब्रtशद्र ऐश्रद्र ठप्रश चाभिभूl *** चाश्ठ ७ नियणिकठ कब्रिएडश् (३, चांद ७iनिङ्ग पाकिसांद्र थां*॥ tझक्रिष्ठईि ना। ७कई किएअङ्गिनग्नक कलिङ्गांठीक नtषा कांबाल (कश्म कग्नि कूण गारेtव ? नकण चरणश्न शानिड़ा शिक्षाrइ, गरुण थांक निश्ब्रिी शिव्राष्इ !' ,५कयाद्ध चाथ cगरे