পাতা:সাহিত্য-সাধক-চরিতমালা তৃতীয় খণ্ড.djvu/৫০১

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গোখিমচঞ্জ রায় নিজ শোণিত শোধি, পরে পুষিলে छूक्रिट डून नैश चषर्ष *िएन । »« পন্থ বেশ নিলে, পল্প দেশ গেলে छबू#ाई भिtन नाश् िशान दtन । »४ লভিয়ে বল বুদ্ধি, পরের বশে श्ड भौवन 5; ध्ंश्८िश्* 8ंश् । $१ ffwrn we usta, fa*tw (wzmi উপযুক্ত হলো পয় সেবা লেগে । ১৮ एाणी कांकद्रि मृाद, यदाह एथग्नि चv(भञ मृु कोई क९र्थब्रि ! ४? শুনিবে বঙ্গ কে, তব আপন কে পরাম দশা বহি পৰে। ২• अ६ ! ८क कहिब ७, इऔर्ष रूथ नश निकू श्र*ांद्र श्रणंtष पाषा । २s कश्प्डि सूक झाङ, श्डाभ श्एउ নম্বনে উথলে জঙ্গ ম্রোজ্ঞ শতে। ২২ कङ fनं4ह प्रिंटj अश्वंय अरड লছিণ্ডেছ নিরঙ্কর ঘাট পখে ॥ ২৩ छि क्लोइ1 ऋफू, अङ्ग कारद्र श्रो डूइ छैौङ ऋग्न श्रृंश्व नोंद१ झही ॥ २४ नफिरण चत्व छूच छूइव भूत्थ झा कादूक हुfकभाल बूक ।। २९ कि कड़ स* यां★, नश्व चd* चिंता ब} {Bष्ण ह बाहि बर्ही ।। १७