পাতা:স্ত্রী-রোগ.djvu/৬১১

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εεο क्ली ۴ -مميم مسييهم. अक कि इहे पफेब्र बtषा नवण cशानिलैंड श्ब्राcश्रहण পূর্বোঞ্চ कéन अश्थक ७२६ अष्ट्रणष ( + ) औ** श्राफ़ाभाफ़ौफारथ बर्दिछ कब्रिग्रा अलि गावषाप्न शैय्व शैप्त नझम निवाबक बन शबl cषोड कब्रॉब्र :ब जाह७८लांकतम शज ग्रांन्नन थांब शश्वद्र भब्रिभूर्ण कब्रिग्रा श्राब्र७ गठन निवाब्रक छूना श•न कāिहा नtी वकन कब्रिएव । चांदब्राश) न। इसब्र •र्षस्त्र थछाश् ८ोठ ७९९ 5ान्णम यरब्राभ कब्रिएछ इब्र । ২ । যোনির অভাব জঙ্ক হিমেটোমেটা হইলে কৰ্ত্তন চরিখ নূতন যোনি প্রস্তুত করার পর সঞ্চিত শোণিত বহির্গত করিতে হয় । श्ष्यिप्छाप्यप्टे गश् मण ८श्राविड भूपी श्हेब्राथनाब्रिउ झ्हेबाप्रु कि ना, ठाश ञ्चिब्र कब्र डेहिङ । गङ्गणाज, सेनब्र ७द६ मूबालब्र aछूडिब्र गद्रौभद्र उांश স্থির করা বাইতে পারে। কেবলমাত্র জরায়ু শোণিত পূর্ণ থাকিলে বৰ্ত্তলাকার স্ফীততা এবং তাছার পার্থের সন্মুখোপ্ত হইতে আরম্ভ রঙ্গুৰং दाउाविक नण अष्ट्रमिज्र इडेटङ भाटद्र । नण cभाच्भूिनी इऐबा थणाबिउ হইলে বৃহৎ বওঁলের উভয় পার্থে তাহাও অনুভব করা যায়। নুতন যোনি প্রস্তুত কঙ্কিণ্ডে হইলে সূত্রাশর মধ্যে শলাক এবং পয়লাভ কৰে। DDDDD DDD DDD BBB DDD DD DD DDD DDS DDD DDDD बूषन्न गशाइरण-*kषानिक वृषद्र शप्न किचा अनन्शूर्ष cषांनिद्र इरन वाव झछत छर्कची ४ चबू पाइlषक् नsाब कब्रिज्ञः ब्राविड भवाइज ब्रिls६७ नक्षछित्रूष कर्तबकुडि बारेल DDS DDD DD DDD DD DDD BGC DDDDDBB BB DDDSLSDD DDD चtद्र अrरन कश्दिी चबूगी राज्ञा गद्वणाज बूजबागौड यशश्छिक्षिांक विदूङ कब्र गखर BB BB DDD DB BBBB BBB BBB GDD DD DBB ug g DDDDD DDD DDD DD DDD DDDD DDDD DD DS DBG DHzDDDD SLLLS शत्र । अहं अनीकॉर्ड कर्डननूकर्तक थनांबिख बच्चांडून नबिकरी छनश्छि *tथकयsa LDDBD BBD DD Dt BDDD DDD DDDDD DDSLS DDD *दर्षि पश्र्निछ इश्रड cषथिtण लेनदूङ इtcय गवीथछ इकहt नक्क - DD S LDB BBDD DD DD DD LLDD DDDDS DDDDD DD HHHG DDG