পাতা:হিতোপদেশঃ (লক্ষ্মীনারায়ণ ন্যায়ালঙ্কার).pdf/১৮৯

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৭৩ং '॥ झिलेश्वरैश्ःध्॥ खञ्च तथाविधः , झरङझमिषत्याचष्झ - अग्नःि पुचाभ्यं शृणाखाभ्वं दृछ* तं तथाविधं डट्रा दन • नकः करटकमाइ संखे करटक किनिष्धर्थ उदकार्थी खाभी पानीयनदीला सचकितेोमन्दं झेन्दमवतिष्टत । करटकेोनूते निच दमनकाझन्झते नाखसेबैव च। क्रियते यदि तथा भवति तर्हि किमनेन खानिचेष्टा निश्ड़्पणॊलशश्नार्क् चतखानॆन रक्षा वेिश्चाऽयराधेन चिरदिवसमवधीरिताभ्याआवाग्वं मददुःखमनु भूतं ॥ षषरश्च पझ ॥ खेवया धनfेष्टृङ्गिं खेचकैः पश्य थत् कृतं । खातन्वंय यच्छरीरख भूडैखदपि इीरितं । बयरष्व ॥ भदॊतवtतातषड्धान् ख्द्धन्ते योन् पराचिताः । तेनात्रिषधाक्षी तपखप्ा वचो भवेत्। ইহার মন্ত্রিপুঞ্জ कबफेक ददबक चूहे शृणांन नि४इटक cनहे প্রকার দেখিল । তাছাকে সেই প্রকার জেগিয়া দমনক কর টককে বলিল হে মিত্র করটক এই জলপানার্থী রাজা কেন खल*ान ब्रां कबिग्ना छीठ श्झेप्री यां८तर प्रदर्शन कबिटरू ८झ्म । कबछेक बनिद्रख्रश् अc* प्रबनक श्रावांब ब८ङ देशांब्र BDD DDS DD BBD BBB DD BB B BBB BBS BB পৰে জাম্বারদের কি প্রয়োজন যেহেতুক এই রাজাকস্তৃক অপৱৰ ব্যতিরেকে আমরা অবজ্ঞাত আর বহুদিন বড়দুখ পাইয়াছি। মাৱ ও দেখ জুজ্যের লেবার দ্বারা ধনেচ্ছা কৰন্ত