পাতা:হিতোপদেশঃ (লক্ষ্মীনারায়ণ ন্যায়ালঙ্কার).pdf/২৫৫

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२३थ्द ॥ हिनेोपदेश* } एषा कन्दर्पकैखिनाचे विद्याधरचक्रवर्तिनः पुची रज झङ्कारी नाम षतिश्ाषितrबियति चः बिक्षत्तमं खच चुषागत्य वशति सएव पितुरगेोचरोपि मान्परिणेथ तीति झशश्वः खङ्खः तदेवं चत्षशिरीषॆन परिण्यतु भवान् चथ नच ष्टते णन्धर्वविवाहे तया बह रलमाण खचाहं तिष्ठामि ततएकदा रहसि तयॆानं खामिन् खे चहयासर्वमिदमुपभेोक्तव्यं एषा चिचगता खर्णरेखा नाम बियाधरो न कदाचित् खूच्या पषादुपजातकैौतुकेन मथा खर्षरेखा खइलेन खुच्छा तया चिचगतयाप्धई चरणपद्मन ताडित चरणाथ खराष्ट्र पतितः चथ दुःखी तेऽहं परिचञ्जितः पृथिवीं परिभास्यन् रचं नगरीमनु। बाप्नः षथ चrfतक्रान्ते दिवसे गापच्टं सुप्तः सन्नपश्यं কন্দপকেলি মাৰে বিদ্যাধর চক্ৰবৰ্ত্তির রত্নমঞ্জরী নামে कमr इंचि झेशंब्र बिञ्चम घोरझ cय द7द्धिक श्रांजिङ्ग चां★ब চক্ষুস্তে এই কনক পত্তন দেখিবেক গেই পিঙ্গর অগোচরে তে ও স্বামীকে বিবাহ কৱিৰেক এই মনের প্রভিজ্ঞ এই ছেভূৰু ইছাৰুে গান্ধৰ্ব্ব বিবাছেপ্তে আপনি चीकांब, ৰুরুম । জনস্তর গান্ধৰ্ব্বঙ্গ বিবাহ চুইলে পরে তাহার DDD u DDD BB BB Dt BB BBB পরে এক দিৱস নির্জনেভে গে কছিল হে নাথ আপন ইচ্ছাণ্ডে এই সমস্ত উপভোগ কর কিন্তু চিত্ৰিত এই ৰণরেখা