পাতা:एकोत्तरशती — रवीन्द्रनाथ ठाकुर.pdf/৩০

এই পাতাটির মুদ্রণ সংশোধন করা হয়েছে, কিন্তু বৈধকরণ করা হয়নি।

२७

संमिश्रण से रवीन्द्रनाथ की कविता का प्रादुर्भाव हुआ। वे सभी युगों और सभी संस्कृतियों के उत्तराधिकारी हैं। इन भिन्न-भिन्न सूत्रों और प्रसंगों के संयोग ने उनकी कविता को लोच, सार्वभौमिकता और अशेष हृदयग्राहिता प्रदान की है।

२२ अप्रेल १९५७
हुमायून कबिर