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एकोत्तरशती

तोमरा तुलिबे बले सकाल बिकाल
नव नव संगीतर कुसुम फुटाइ।
हासिमुखे नियो फुल, तार परे हाय
फेले दियो फुल, यदि से फुल शुकाय॥

[नवम्बर १८८६] 'कड़ि ओ कोमल'

निष्फल कामना

रबि अस्त याय।
अरण्येते अन्धकार, आकाशेते आलो।
सन्ध्या नत-आँखि
धीरे आसे दिवार पश्चाते।
बहे कि ना बहे
बिदायविषादश्रान्त सन्ध्यार बातास।
दुटि हाते हात दिये क्षुधार्त नयने
चेये आछि दुटि आँखि-माझे॥


खंजितेछि, कोथा तुमि,
कोथा तुमि!


तोमरा तुलिबे बले—तुमलोग तोड़ोगे इसलिये; सकाल—सबेरे; बिकाल—अपराह्न; फुटाइ—प्रस्फुटित करता हूँ; नियो—लेना; तार परे—उसके बाद; फेले दियो—फेंक देना; शुकाय—सूख जाय।


 आलो—आलोक, प्रकाश; आसे—आता है; दिवार पश्चाते—दिन के पीछे; बातास—हवा; हात—हाथ; दुटि—दो; चेये आछि—देख रहा हूँ।

 खुँजितेछि—खोज रहा हूँ; कोथा—कहाँ; तुमि—तुम;