১৭২ बऔर्णछ । কলেজের ভূতপূর্ব্ব প্রিন্সিপ্যাল ডাঃ লিউকিও এই মত র্তাহার নৰ প্রকাশিত Tropical Hygiene নামক গ্রন্থে লিপিবন্ধ করিয়াছেন। গ্রীষ্মপ্রধাণদেশে (ভারতবর্ষ্যে ) সবাগত ও जवहांमकांग्रैौ जांद्दश्वर्णभट्रक ऊंरक्त कब्रिग्राहे ठिनि लिविघ्नांटाइन, “चायन्त्रा cष भन्नु श्राम कच्नेि ठाश छाणपनि रुजिब्रो, किस्त्र धङ्कङ *:क्र चाशङ्गक्र१ जछ उशद्र ¢कांनई बूगा cमर्षी यांब्र मा, বরং উহা ব্যবহার না করায় উপকার আছে” । অতিরিক্তমদ্যপানের ফলে প্রধাণতঃ যকৃত এবং পাকइजैौ३ बिङ्गठ शहेब्रा भएफ़ ७षर ७हे इहेलेि * यदङ्गग्न नश्, लङ्गैौब्रह अबTांकृ याञ्चब्र विद्वचषङ्ग* क्षनिक्कै नचक्क थोरुाग्न, थङ्कङ अिप्टक जबूझब्र ८नशरे बिकन हर्हेब्रा शांग्र । मनांठाग्न मांयक औफ़ी, यकृtष्ठद्र ब८षा छर्कीि नश्पर्कम, नॉकশরিক প্রতিষ্ঠায় ( catarrhs ), তরুণ ৰকৃতপ্রদাহ, যকৃতের निtब्रानिन् रेडानि नौफ़ारे चषिक इरण तृडे इब्र जानिएव । बनयस निष्ठांग्न ॐद्रनजांठ नखांद्रनग्न, वृर्नेौरब्रां★ शश्वांद्र नखादमा থাকে ; মাতালগণের উপদংশ রোগও সহজে সারিতে চাহে अङिब्रिङ्क मक्pittमङ्ग 亨都 না। বংশে একজন মাতাল থাকিলে তাহার অনুকরণে राश्चौष्ट्र জঙ্ক লোকেও মাতাল হইতে পারে ; যদিও তাহার মন্দ नब्रिभाभ cवचेिब्र, शब्र१ ॐशष्ठ इभी अत्रियांब्रहे नडावना, किख अष**ख्रन बाहेबांच्च ●रणांख्म श्रृंथ ७डहे जाणांठबरबांशन्नैौ cष, नमांजइ ८कह नश्ट्ज डांश इक्लिाहेब्रा जानिहठ गाढ़ेंद्र मा ! शशांनांख्Tोरनङ्ग जांङ्ग ७काँले यब ७३ cष, अषव २
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