পাতা:অনাথবন্ধু.pdf/২৪০

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-AL. سحصحسنس حصص as aenia ahia srais ha चेत्य’त सहज होगा, फारच प्रधान खर्च हे.ौक. बनवाई सी ‘अनाथबन्धु' के खिध बने ही हैं। इस विषय में सब राजाओं से सहानुभूति रखने की प्रार्थना है। जिन जिन माननीय महाशथशॉोंने अपना अपना फोटो और जीवन-चरित अब तक नही भेजा थे, उन महाशयलोगो से अपना अपना फोटो और जौवनचरित भेजने के लिये प्रार्थना की जाती है। “अन्त्रपूर्सा आश्चम” का कार्य जिस तरह चलेगा उसका ब्योरा हम लिख ही चुके हैं 'चाया है आपलोग इमकी उन्नतिशील बनाने में कुछ उठा न रखेंगे मैं कृतज्ञता पूर्वक निवेदन करता हूं कि जिन महाशयोंने ‘अनाथबन्धु” की प्रथम एवं वितीय संख्या रक्खी है और इसके उद्देश की समझ ग्राहक हो गए हैं वे अबकी संख्या पाते ही बार्षिक मूल्य भेजकर मझे वाधित करें। पहिलैं ही कह चका हूं कि "अनाथबन्धु" की आय आश्रम सम्बन्ध में ही व्यय होगी अन्त जिनलोगों की इच्छा इम आश्रम को सहायता पहुंचाना है वे कम अवसर पर दर नकरें। वे जितनी जल्दी सहायता प्रदान करेंगे उतनी ही जल्दी कार्य पहीमा । 'अन्नपूर्णा आग्राम' के लिधे हमने श्रीवेद्यनाथ धाम के पास एक स्थान निधित किया है और उनके लिय बातचौत हो रही है. हमकी आशा है कि MNPNemwama حقصص۔ حصے हमारें सहायक बन्धुगण उसको पसन्द करेंगे। अब विलाव न करें इस सुअवसर की अपने हाथ से जाने ज देकर काश्यें क्षेत्र में अवनीर्थ हो सक्तकण्ठ से अनाथवन्धु की पुकारते हुए अन्नपूर्ण चायम रूयापित करने में सहायता दें। विगघ स्.बिधा विद्यालय के छात्र, धर्मसभा, एर्व जनसाधारस के उपकारार्थ जो लाईब्ररी हैं यह सब इस 'अनाथबन्धु’ को आधे दाम में पावेंगी। इसमें हिन्दी केलेख भी निकला करेगी। fa帝i可:ー बीकालीप्रसन्न्न मुखोपाध्याय 环百1领百1