পাতা:কাদম্বরী (হরিদাস সিদ্ধান্তবাগীশ).pdf/২৯১

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ఫి€e कादब्बरी पूवभागे क्रमागताना राजपुत्राणा सहस्र परिचाराथम (१) अनुग्रेषित तुरङ्गमारुढ़ (२) इारि प्रणामलालस प्रतिपालयति ॥” इत्यभिधाय विरतवचसि (३) बखाइकी चन्द्रापीड़ पितुराज्ञा शिरसि छात्वा नवजलधर ध्वान गम्भीरया गिरा “प्रवश्झतामिन्द्रायुध” इति निजि'गभिषुरादिदेश (यं) ।। अथ वचनानन्नरमेव प्रवेशितम्, उभयत खलीन-कनक (४) कटकावलग्नाभ्या पदे पदे क्कताकुञ्चनप्रयत्नाभ्या पुरुषाभ्यामाक्कष्थमागम अतिप्रमाणम, ऊष्टकर पुरुष प्राप्य पृष्ठभागम, (र) आषिवन्त्तमिव सन्यूखागतमखिलमाशम्, (ल) श्रतिनिष्ठ रेग मुडुमुडु प्रकम्पितीदररन्ध्रण हैषारवण पूरितभुवनोदरविवरेण

    • ! कलावता यि चतकलाविद्यानाम कुलक्रमागTानां व शपरस्यरयागतानाम् । एषां पूव पुरुषा यथा भबत पूर्व पुरुषाण परिचर्यो क्कतवन्त इमे; प तथ व भवन्तरागता द्र त माव । परिचाराथ परिचय्र्यानिमित्तम्। थतुमषित महाराजै , मत्पश्चात् प्रेरितम्। प्रगामै भनती मग्कार लालस नितान्ताभिलाषुक सन्। प्रतिपालयति भवन्त प्रतीथते । नवजलधरध्वानवत् नतनमेघगजनवत् गम्भीरा तया । अव लुप्तीपमालद्धार । निजि गनिषु विद्यालयात्रिर्गन्तुमिच्छु ।

[२] अर्थति । अथेति वाक्यान्तरारको माननाथ्र्याथ ख तु बचनान्तरमेवत्यनेन वाभिधानात्। वचनानन्तरमेव चन्द्रापौडस्यादैशवाक्यानन्तरमेव प्रवेशित बनाइकार्दशेनानीतम् इन्द्रायुधमद्राचौदिति बहुदूरवति न्या क्रिययान्वय । थत वितिथाग्तपदानि इन्द्रायुधमित्यरह्य विशेषणानि । ख मुखविवर लीन इति खलीन कविकास एव कनककटक सुवण बलय तस्मिन् भवलग्नाभ्यां ससताभ्या धृतकविकाभ्यामित्यथ पद पर्द प्रतिपदचेप छात भाकुञ्चने भाछाया नयने प्रयत्रो याभ्य ताभ्याम् आक्कष्यमाणम् आक्कष्य थानौयमानम् प्रमाण साधारणमेव परिमाणमतिक्रान्तमित्थति प्रमाणम् अतएव ऊत्त करैण उन्नमितइस्तन पुरुषेण प्राप्य स्य श्ध पृष्ठभागी यस्य तम् अतौवीव्रतमित्यथ । [ल] थापिवति । आपिवन्तमिव मुझुमु हुमुखब्यादानादिति भाव । भत्र क्रियोत्प्रीचालडार । [व] चतौति । श्रतिनिधुरेण नितान्तकक शेन मुइमइ प्रकम्पितम् उदररन्ध येन तेन तथा पूरित রাজপুত্রকে আপনার পরিচর্য্যাব নিমিত্ত মহাবাজ আমার পরে প্রেরণ কবিয়াছেন , ইহার BB BBSK BBBS BBBB BBBB BBBB BBBBB BBB BBBB BBBS করিতেছেন । এই কথা বলিয়া বলাহক বিরত হইলে দাপীড পিতাব আদে শিরোধাৰ্য্য কবিয়া বিদ্যালয় হষ্টতে নির্গত হইবার অভিলাষী হইধ জলদগম্ভীবস্বরে আদে করিলেন— ইন্দ্রাযুদ্ধকে প্রবেশ করান। (র) রাজপুত্রেব আদেশের পবই বলাহক সেই অশ্বকে বিদ্যালয়ে প্রবেশ কবা লেন ছু জন লোক দুই দিকে থাকিয়া কডিয়ালি ধরিত্ব, প্রতিপদক্ষেপ আকর্ষণে যত্ন করিয়া টানিয়া আনিতেছিল , তাহার আকৃতি অতিবৃহৎ কোন পুরুষ (দণ্ডায়মান হইয়) উদ্ধে হস্ত প্রসারণ কৰিয়া তাহার পৃষ্ঠদেশ পাইতে পাবে (ল) সেই অশ্ব বার বাব মুখবাদান করায় সম্মুখবর্তী সমস্ত আকাশ যেন পান করিতেছিল। (ব) বারংবার উদর কম্পিত [१] परिवाराथ म्। [२] अधिरूढ । [३] अभिधाय विरराम । [४] खलौनकटक ।