পাতা:কাদম্বরী (হরিদাস সিদ্ধান্তবাগীশ).pdf/৪৬

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कथासुखे शूद्र्वावष'जम् । ኟሂ उपजातकुतूहलखु राजा समीपवतिनां राज्ञामवलोक्य (१) सुखानि “को दीष, प्रवेस्वताम्' इत्यादिदेश (क्ष) । भथ प्रतीहारी नरपतिकथना-(२) नन्तरमुत्थाय तां मातङ्गकुमारीं प्रावेशयत् (क) ।। प्रविश्झ च सा नरपतिसहस्र मध्यवतिनमशनिमय-पुन्नित कुलशेखमध्यगतमिव कनवाशिखरिणम, (ख) अनेक-रत्नाभरण किरण जालकान्तरितावयव ..” मिन्द्रायुध-सहस्र स च्छादिताष्टदिग्विभागमिव जलधरदिवसम्, (३) (ग) प्रवखबित (४) स्थूलसुल्लाकलापस्य कनकमृङ्खला-नियमित मणिदण्डुिकचतुष्टयस्य (ख) उपजातेति । राज्ञां मुखावलोकनन्तु चाखाललन तत्प्रवेशे तेषां वमत्यमति न वेत्यवगमाथ म् सति तु वंमत्यो गयनेतेिनापि तत्प्रतिवेधसन्ध्रवादिति भाव । (क) अथेति । नातन्त्रकुमारौं चाखालकन्याम्। (ख) प्रविश्झति । सा चाग्छाखकन्धा प्रविश्झ राजानमद्राचौदिति वच्यमाणक्रियथान्वय । भत्र सर्वाचि दितौयान्तपदानि राजविशेषणानि । थशनिभयेन इन्द्रवजाघातात् पचच्छदनमयेन पुञ्चितानाम् एकत्र मिजितानां कुखमखानां पूर्वोक्तानां तुखपब तानां मध्यगत कनकशिखरिण सुमेरुपव तमिव । चुपमा । © पुरा पचवन्त पब ता पक्षिण इव दैश्राद्देशान्तरमुड्डीय पतन्त पतनखान च,ण यामासु । तत सूरपति रभनिना तेषां पचान् हेितुमारंभे ते च तदा भामित्रायोपायीज्ञावनाय एकत्र समवेता भासब्रिति रामायणम् । (ग) भनेकेति । अनेकेषां नानावर्णानां रत्रामरणानां किरणजाखकेन रश्मिसमूईन भन्तरिता भ्राच्छादिता भवयवा भङ्गानि यख तम् अतएव इन्द्रायुधसहस्रण इन्द्रधनु समूहेन सच्छादिता भाड़ता थष्टौ दिग्विभागा यत्र तम् जखधरदिवस मेघाच्छब्रदिनमिव स्ह्यितम् । एतेन शूद्रुक_झामवण भासौदिति प्रतौयते !_ सपमा । ভূমণ্ডলের সমস্ত রত্বের একমাত্র আধাপ , এই আশ্চর্ঘ্য পার্থটাও সমস্ত জগতের মধ্যে রত্নস্বরূপইহা মনে করিয়া ইহাকে লইয়া মহারাজের চরণসমীপে উপস্থিত হইয়াছি, এখন মহারাজের দর্শনমুখ অনুভব করিতে ইচ্ছা করি।” ইহা শুনিয়া অপনি যাহা আদেশ করেন এই কথা বলিয়া প্ৰতীহারী বিরত হইল। (ক্ষ) প্রতীহারীর বাক্যে রাজার কৌতুক জন্মিস্থাছিল , মুতর তিনি নিকটবর্তী রাজগণেব মুখাবলে কন করিয়া প্ৰতীহাবীকে আদেশ করিলেন, “দোষ কি প্রবেশ করাও। (ক) তদনন্তর প্রতীহাবী, বাজার আদেশের পর উঠিয়৷ সেই চণ্ডালকন্যাকে প্রবেশ করাইল । (খ) সেই চণ্ডালক প্রবেশ করিয়া দেখিল যে, রাজা চক্সকান্তমণিনির্মিত একখানি পর্বন্ধের উপরে উপবেশন করিয়া আছেন , বঙ্গভয়ে একত্র সমবেত কুলপৰ্ব্বতগণের মধ্যবর্তী মুমেরুর ক্ষার তিনি সামস্বরাজগণের মধ্যে অবস্থান করিতেছিলেন , (গ) নানাবিধ স্বত্বমগ্ন थाङब्रtभत्र किब्रभजाएग ॐीराँग्न ग१७ रूण थांबूड क्ष्णि, डांशicङ दशठद्र *अषएण्ड अडेनिक् T() आजीक। (२) बचना । (२) जलधरसमयदिवसम्। (s) चलचित । مہم مر