পাতা:কাদম্বরী (হরিদাস সিদ্ধান্তবাগীশ).pdf/৭৬৫

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હ૭૨ कादब्वरो पूर्वाभागी तत् प्रसीद देवि । अलमसुना मरणानुबन्धन, (१) शपे (२) ते पादपङ्गजस्यज्ञैन, सन्दिण, प्रेषय माम, यामि, आनयामि देवि ! तै हृदयदयितम्' ( ) (ण) । इत्येवसुप्तो मया प्रोतिद्रवाद्रया दृछया पिवन्तोव मा निरुध्यमानौरपि मकरकेतु शर-गत जर्जरिता भित्त्वेव लज्जा लब्धान्तरोनि पतद्धि (४) अनुरागविभ्चम राकुली क्रियमाणा, प्रियवचनश्रवण प्रोत्या च खदाक्षिष्टम (५) उत्क्षिप्य रोमाञ्चजालकैन दधतोवातरीयाशुकम्, प्रख़त् कुण्ड़ख माणिक्य-पत्र मकर-कोटि लग्नञ्च शशि किरणमय मरणपाशमिव मकरकेतुना निहित कण्ठे हारमुकोचयन्तो, प्रहर्ष (ष) यदिति । काष्पे शपथं क्षरीमि । ह्रट्यचितनयल प्रस्थ'व श्पधोऽयमिति झ यम् । (त) इतौति । मया इत्य वमुक्त सतौ कादम्बरौ मौतिद्रवेण भानन्दरसेन श्राद्रा तया दृष्टया माँ पिवन्तौव । अत्र क्रिीत्र्म यालङ्कार । निरुध्धमान र'प सब्रियमान रपि मकरकेतोक्दनस्य शरश्तेन जज रिताम् अतए सुकरमिति माव लज्जां भिक्व व खब्धान्तरै प्राप्तावकाश निपतद्भिराविभवद्भिरित्यथ भनुरागविश्वमै सिाताश सूषिविजाश्व चाकुषौक्रियमाणा धरिझरीक्रियमागति तात्पर्यम् । क्रिधtत्न च । विाच प्रियस्य चन्द्रापौड़ख सम्वन्ध यइचन तस्य श्रवणेन या औतिरानन्दस्तया ये खेदा धर्मोक्ष रान्निष्ट गावससक्तम् उत्तरीयt**, रीमाखिालf जालशैश् पुच'न चयि दध्रौव । क्षिधोत्प्र चा । किंच प्र विश्वखत कुण्ड़खस्य धी मtदिवि। i रछििर्ध्नतपश्वात्मश्मकराक्षीराखड्ारतस्य टिौ षयद्श्ये खश्प्रम् शशिकिरषलय त६त् शुभ्रमित्यथ। | मदनेन कण्ठै निहित स्थापित मरणपाध्यमिव स्थित हारम् उनीच्यन्तौं प्रच्यावयन्तैौ । अत्र जात्यत्प्र चार्यै কথা বলিব, যlহার! আপন আপনিই পতিকে বরণ করিয়াছিলেন। (চ) १नि -** হইবে, তবে ধৰ্ম্মশাস্ত্রোপদিষ্ট স্বয় বরুবিধান অনর্থক হইত , (ণ) অতএব দেবি । প্রসন্ন হউন , এই মরণের আগ্রহ পরিত্যাগ করন আমি আপনার পাদপদ্ম স্প } শপথ করিতেছি, আপনি খবর দিন আমাকে পাঠান আমি যাইয় আপনার প্রশ অনিয়ন করি । (ত) আমি এই কথা বলিলে কাদম্বী অ! দবশত শিগ্ধদৃষ্টিতে আমাকে । করিতে লাগিলেন , মদনের বাণসমূহে জর্জরিত কবি ছিল বলিয়াই যেন লক্ষ্ম করিয়া ঈষৎ হাস্তপ্রভৃতি অনুরাগসূচক বিভ্রমগুলি স্থান পায়াছিল এবং স বব লাগিলেও সেগুলি আবিভূত হষ্টয়া কাদম্বীকে একেবাবে আকুল করিয়া তু প্ৰাণেশ্বরের সম্বন্ধীয় বাক্য শ্রবণে আননবশত ঘৰ্ম্ম উৎপন্ন হইয়া উত্তীয় বস্ত্রখানা। সF ত সংলগ্ন করিয়াছিল এদিকে বোমাঞ্চসমূহও উৎপন্ন হইয়াছিল , মুতবা কf সেই রোমাঞ্চসমূহদ্বারা সেই উত্তবীয় বস্ত্রখানা ক উত্তালন করিয়া ধবিয়াছিলে দোহুল্যমান কর্ণকুণ্ডলের বস্তুনিৰ্ম্মিত মকরাকারভাগেব অগ্রে চন্দ্রকিরণের স্থায় শুভ্ৰবস্ত্ব সংলগ্ন হষ্টয়াছিল , সুতরা সেই হারছড়াকে মদনকর্তৃক কণ্ঠে সমৰ্পিত মৃত্যু বোধ হইতেছিল , কাদম্বরী সেই হারছড়া উন্মুক্ত করিতেছিলেন—এই অবস্থায় (१) अख नरक्षानु । (१) झपानि । (३) सन्दिश्य माम् धाय्यानधामि त दैत्र चन्द्रापौड़ ते (४) नियतझेि । (५) खदक्षिष्टम् ।