পাতা:প্রবাসী (ঊনত্রিংশ ভাগ, প্রথম খণ্ড).djvu/১০১০

এই পাতাটির মুদ্রণ সংশোধন করা প্রয়োজন।

প্রাণী-আইন, ১৩৩৬ [२०१छ, y११७ לא ®কানন कiिांना श्रेष्ठ थकॉनिक। वैशगाणीव गांहनाप्नोअनैकवि $। छैसां★ क्षै। ‘बांश्त बांन६ ईौशांब िरेशन गा गात्र गि भीरु ९। व्रांश्ा १ि|। । वैश्वी नःि। ‘ १े ॥ीतः। छेका १vतःि ५ििन ौि ११ः ७। रीढ़-ब्रह्छ। 4वशौ। ४२ध्नः शंगित्वtां, शनिकांओं। छैष्ट्र शरै *१बां★ रुश थांशां छांब बांtई। गांभीांौ तिा। $ EE" দিদি বণিাগুন (गिज़ {ोषू हरे शंसि। बिौजनिक ४ मानकिौकिक राशैठ किौ नर ४ वाशग कांग्ला बां स्शिन शी बांः। रे रेशरास् रांगक्-क्रांजिकाः gश श्किौ निकांग्ल भंक अर्कीर्थक बर्षक ऎpशांशै निश्शन शै। अंशकांश बै:ांगांगत (*ाॉरुवंशैि ५ नृतवतांश् छोiारी। शृगा।' थांन। छागैशृ किौयांन कां ब्रूप्लान बांi इतिाrाशं:१४ शनि गाठांत शिर्षम् गि ई; ब्रूङ्गिां *क शर्तीर्शकभावनष्ट अथवृठरा। ধাত্রা বা আলোচনা go ਾਂ भार जाएँ छr dरांगोठ ब्राः वैसूरु (शांगित ब्रां शांशंष्ट्र शृििि, ५-4 प्रशं★ 'वां'ि*झा ज{क्तिां, शीशान। शशं★ शिा ििने वैमूळ नाशिनीश् ६१ शशं★ा'बीजि' भtर्ष 'ाग्री शास्राप्त गिरे। बाँ ि6 किस् सूोग्रा बांग्ला रांगैठ बां३ि 0 रुश् गि,ि #ां शंशंष्ट्रा80श्रु गाई शीतांश्न। स्ढ़ि iां शंशंष्ट्रः ( शिाझ्न ‘ब'ि हरेछ जॉाणि श्रेक्षांश, बांशः॥१थई श्५ कछि भंगिांश व। जांशा शब्द 'बीीतf श्रंश रंोछ बाँगि प्लेि ो पू। चारत कास्बा "प्ला ? १त् ब्रींश् i8 क्षी।। ११|~ ‘बगझी छरिः स्{ाष्ट्रगीक। *िाः शृिशं संहमितिीः। १ो' ं निराशौ शांतःि निरुः। -ੇ। ऐशः शश शैम्लि बांश lि,ांगो, $५, दू४" । शैनि छै**ां६ छर्ध्निा गि शिां६ बांसांक (शन श गरेद्वर्ण गीग वर्षाशैश बांश ििछ गि। क्षेतृ" शीत दू, ११, बस्न यी a" शीा सवा बा गान् शेर। कौशी बर्षि रेशं, थान बांt, वैt tरेद्ग१ १ीय १करेि शूरश्ठ श। व भाषा मन की ग्निा पूजन ािाम। पिरेङ्ग गोरुगां (क्इ (गैरुन, छारे निा झाङ्गल्लिग रुङ्ग्रिह

  • ត្រៃត្

কাণীরোগল রে" रेशतः षििनःश्रृतसङ्गीीर्घीत् ङे तािंझिात्; tरे ऍों सागौ र ईगो कागौ र शिौष्ठ काभेः शाप्त কৃষ্ণকীর্ষন দা, গাড়েও আছে। 'प्ले (*ष्ठशिौष्ठ #ांश काशै' "प्लेग कागौछा क्षििनष्ठत। विीाोगः शैः शैता' वता।।" (জ্ঞা,গাণী) बर्षातौरु|ुछबानौं ोत्न"णिाइ गङ्गं ‘ब+िनििश Pशीङ्गरु ‘श्ा'+५ीतिा).५r. शनिf>बबन ‘षारनिबxशौन सांकन * बांग्लॉगौ ? थांशगौ>प्रागूः शांशंग‘बांनी ‘बा'िबांगि। शाकििहए ब्ल" जगृशांवरुग्निशरेशांश्।ि वैकाङ्क्षी भूणिीतःि (शः शौण्दूि धोोगशा झांगतागताग्निा)