পাতা:প্রবাসী (ঊনত্রিংশ ভাগ, প্রথম খণ্ড).djvu/১৬৪

এই পাতাটির মুদ্রণ সংশোধন করা প্রয়োজন।

阿帕 रािि y&O गांक्षगक शशंभुं द्विा, घनंकन रिः शूर्णाशिल्लांग पूािशन दार्शल र ठूनर्शन श क्षेस् ि (१, उनि गिक पत्रज्गारे की शैति क्तिर्षिा रक्रछा कशि शांछि श्रेष्ठ घानि। dरे चाँगामा ब९ झोस् ( छाप्नङ्ग ििर्सस्।ि शि (नि शिाझ (मि श्रेस् शिक्षा कई क९५ कर्णः रुईराशीनार (क्र श्रेषेौइ। स्ईरारें ¢श्न अंशं मौ, उशन 4भौ, शंशं, गर। गशाहेश्6ाथि ज्ाष्ट्रिारु सत्रुाि गिरेगिर কোনে আশা তার নাই। स्ट्सि (शां★ कतिशन हाउ उर्शनरे(श भैशिाह डर्स ए कति ति। रुए शब शंश ग्नि शिांह, शंशश नारे, श्रांत मा, उशं; इछ कैश्रिांत शिंशा वितणः (लांशं ? রাট f বেনার গত্যিক্ত কাপড়-চোপড় १झरे। ।ि (शJरुलां३ : १३रुीि नि। शिाj १ीरात ७रः शलत ग (काश :ि शि षनि। ं कालं ततः क्र (नाणकारं नि शिििरकन स्क्रूिरे १झेऊ न। রান্ত্রির গাৎসরিয়ে গুইবার জোগাড় করিড়েছে, ज्भ गिरेसिििबाहि। रत्ने गिि र,ि"षविाहूि शंरब रज़ी। र आरं★शैः jग,ि१न वज्रिा प्ले"इ" ठूलाश जन्,ि 'णि उ३ िि, (राष्ट्रेन নিয়ে আমি আর কোথাও বি না। এমন স্থাগুলার মত १ीतःि रतःि" বির বলি, "খেড়েই ধন তার ডেকেছে, তখন (भज्ञ गिर गिर ?ि (शं, किन्ने श!ि बांशन मूल था, gर श षोमैगैश (नै म् ि१ीनि ए" রামা বলি, ”খাব নাড় কি? দাড়াও বাগড় रण घ॥ि ठtश िि शव भांज़े ििशग। प्रांरै बाँक्५ण्6ागि(रिन्!' इनrानैरशारीरणिना। शासि गैशर रिन। ५ीण गिा,ज़ ऍारे रिझौकप्ति रंशि, उशं★ १ रिशनरु कउि (*ग। ब्राशंग विज्ञान क,ि "स् ि(शा,ि ५ठ १शै। (? स्रा रुश स्रशस् ! गौरि गििप्रश्रि१ আমার!" कून ५क चर्थङ्गल् हरे रगि", "१ १, १९ ॥ {एो:ाङ्ग o दार्शगा नि,"तःि शं स्रं शरं स्निां शनि म, उत्6 किरे एंस्क् (शंश क्श् छरह। sप्राज्ञांत प्रश्शुक्र (एांशीज़ कि ई ताज़ (काश्छि। प्रागैति शत्रु (रे उ रन का १ढ़, बॉन्ग (लांशः प्राङ्ग छलां% रुम्लग्न छु।" লুদ গান বাট একটু বা স্ট্রয় নি। লে र,ि"छृहे स् िनाक iिtङ्गस् शंकरें राष 倆* काशनरन्,ि "क् िबांह क,ि आहे? आउि धा (शशंद्र शङ एनौ ब्रहे! शशांत १ बांशांश ,राराकास्टेशंग्ला(रज़ान। शश्रेणी বাওনারখানাদেশী সম বাটতে স্থা।" दूलश ,ि क्इि शप्त शाश् स् ििि কাছে এসব বলি নে দেন। ীি তাল বাবে, शं प्रdरे निः वांशं★{श् शख् राग शीरन।" गांउ शक श नारे। सांकरें उyअ;ि १ीक्षः शक्ष गति एांशाः श्रें। प्लिए ट्रेन। क्षे॥ ध्रेंौ९घरश्न थानक्क १ गि, एार :ि५ प्ला १शाए गझौ शंशाः १ी घां, श्रेन न। अष्ठाग्राद् भाणै,ध१, १श्न, श", "तिा शांधान }गार भूढ़ॉन ः कतिः शश g|ः कश३९ १Iत् न, ;ि११ाए १रु रु|छ, अम्ल राष त्तःि গড়া। ठून क्रुिभाष राहे षष्ठश्नक्, उशन प्रस्श (१ि१ हि' मि' ति॥ििति नेिi', ਗਿਗ| ‘’ - ल्यिाक्लि,ि"ब ि(शा! ५९ tणारौ शंशप्लांगा'इ,ि लगि अशरे' (शशशिस?" s