পাতা:প্রবাসী (ঊনত্রিংশ ভাগ, প্রথম খণ্ড).djvu/২৪৭

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૨૭૨ शैéनांनाक घाः कः ?ा (रिकांश शैकांश रशिक्नतिितिाग्निलि भै। गिागिायिश्?गानाशकश स्व।' tॉर्तिनांग का कावtराग (छ tशी शां★१११ ॥ प{-ात(शीर)बाग दूर हैधातिाग्नि १ी श्रीः। (शक्किा कड़िा िि३ (शिांग*ि) स्व्रि" tाशिशिगन (रांह tाशिा बांशंगिक) िि** श्रेः 可! អុត្តុ ចត្វ ក្e f: ऐशाः नाम प्राप्तः शिनि लिं हरेत् ।। ॐ গোবিদানিধিরার কবি। (निाशा ( रु १ प्लेब्रुरु श्रेाष्ट्र छाश? तास् १ढ़ब्रछङ्गाठ ९ यह शब्द क्लिठ ९ अ१६ ক্টো গিাছে। বিদ্যাপতির গালিতে এরূপ আরও টাছ। ঙ্কিার গুণি পণ্ডিয়ায় অনেক ७गि श्रृंगार्लोष्ठि श्झेक्षांइ छुि रुक्लङ्ग अझ”) যে এরূপ সমস্ত গা গাঞ্জগিাছে নিঃশায় এমন কথা ড়ি গায় বা না। পারতের সূর্ণ শাখা ; গা একটু গা যেন পায়াছ ষ্টে স্বাকার উদ্ধঃ করিতেছি। বিদ্যাগড়ির গান্ধীর প্রথম স্ত্রণে এই গাট বা পড়িছিল – बहःि कश्श छानेि १tा श,ि ििनः ििङ्गतः। 砷响啊市啊 कौन साक्षिांना ॥ जॉ९५ बीवन र न प्रांत्रज्ञ

  • ीव हैं छांiा । $ा िtशनr;ि १श्न

पृtअग्लिश शंगा॥ ब्रैगtतनस्गांग कौ१छदू गििवश्प्रनफ्नाि। ब? प्लेबां, शोक शो प्रकाश १ीति कांश कांग्लl॥ रइ बिtशंग सह ब्रांगtख्ग १६परि कwा प्रशांब्र। निश्नांौतिनैि बॉी शा॥ गोशी (कांब कांबा॥ १ . बहून छरे तर सांगा। बिगा १ि१िoर गुणि १िाणिा। প্রাণী-জ্যৈষ্ঠ ১৩% [ २* शं, y१९ छि कृििछि। पछिःक्षि िगि मृशगिछ क्षिार्शछि श्राद्ग९ % थाई। विशj"ठि? ब्रांता ना वानिलं प्रति ऎशिका १ातगौन घांसी षलिङ्गं ংিলার কোন পঞ্জিড়ের সারা না লৈ গৈ। সংশোধন বা অর্থ হয় না। সংশোধিত পাঠ এইরূপ बांगनेि क्छ्ण श्रे९ ने ११ ऑि fাইড়দিনাঙ্গায়৷ ម្ល៉េះ វ្នំ ' कौन स्s&निर्झांशब॥ २।। अ8५ बॉgन श्ीन शंत्रण តុម្ហិ চাচা ঘুরে গুন মেক্সিমাছ। । • जिtस कृग" शैन एटू प्रििने बभ्रुवनितांश्ब। छत्रू छेtप्रांत शोरू शक्ने अवश् सै१ि कांश कांग्लष ॥ १ ॥ रह विtणैशाह शंगts रह *ि* कठ4 #शांक्लब t प्ति बििनौि छशिक्षा शीक्ष्१ रुeन कॉअब ! y। छिामशन शक्र?१ं ि भीतून छरेरह कशब। নিনে" মুড়ি शि इध्रिय। ••। बई-११। (शैि मंती नःि शीतात् हिमा), क्षतःि नि। निि, छ{१ प्रे पारेश् ि, तिीतःि।(श्रृतः। हरेछमाििग्लशबॉििरे ब्रशांक १ढ़" बांग्लांग शि) ति? हरेशश्। ब्रश (दूि!) छानबाणा शांन(ररेण) (*ाराः शृक) कौ३ विान श्रेण। ७.1। (tठः किंग्लिश रांरशां ििछ माता) शैश ब,ि पूरैरशस्तष्ः शशिश्न (१ाश्रु सेोगं रुतििशश् िन!)। (Giी) बानि क्षगतःि। ग्निश्रह, tान १श्न (बान) व (भू१) बांग्लांश् कति, (*५)तोनतःि भूशशाहा(षश्ाता।)णं शहस्रम्। ५-५ ।। सिक झांग(नक्शां, कौ१छन्गशै रापूर्त गिी। (स् tर्गौतह१ भई शांईन सकि) शां९, (शन शाश् ऐक्न इतt{ (tाररहैः) (कांyl(क){शिक्षा (पू*)काॉरेग्नः। १” । वहीनtiग,रह शंग श्रे, वह रfrरश्न कति गता करि? शंर, शिश ििनै बांग्लौक कई काि (सां तां शंक झतःि ! ॥ १०। शैिः स१|श्वः श्वः शना विना (शोर) की,गकांग(बगैर रेगा, थॉ) चीन रेगी। रिदृष्किीक, गग*ि कि ता श्री श्री॥(प्रा कiिा|}१श्न का। বাড়লে গুণি ও ছাগ গুপ্তকে এ বৃক্ষ দামী ल बार बाराक्षशक्षप्ततपरिसैश्विर।