পাতা:প্রবাসী (ঊনত্রিংশ ভাগ, প্রথম খণ্ড).djvu/৩৮৯

এই পাতাটির মুদ্রণ সংশোধন করা প্রয়োজন।

गरे। ग्रीषारि श! ििरणाझ१श,ि भौशिकबागणा कगारपत्रणता का शरगोरुि चरा शो पिई (श्6ग। किंछ dशीन छांशंद्र शांशी गणगणारे भांशं* আদি৷ গনি, গেদি প্রকাশ গান গায়ৈ মন गो (ण प्रांछि भूािज्ञि। (ण रैफ्नोि शांतिाउ३ प्रिशैतािंइ ािा, (भक्त अंश १ क्षेशनशंशैः कश् (ग (श्रीनि8 रॅनि नरे। अस्शन जनठित्व छांशंऐि); ७कांश रिक्षगणाश् एङ्गौक् अर्थशास्त्रप्तिािहिर ,िशौर्षमा स्गा शशी परत प्ल पक९ "गै राग तेिताि गतःि।। ५स् षा सशिता। गम् शनिगtण श७ रिक्षांश उि न, स्टूि टीकां* अंशं; घर्णाक्ष कांशिौगिाबद्दे गिशियांनाशेtइ-वरिक्षण कप्ति गीत गांठ करिtग ऐशा९७शा गि न। षी।। ५ीनक्षतः त्।ि षाह शन सति।d षान् निोबा ऐशंकगांश्नांन रु५ छरिणन, छांश fक्शां★ विप्रेग-क्षॆशौण षरतःि एषा (साम् १:१ ॥ भगत शैरनगरे गरेर। oा गि, षशिा इति गणांिँ शि' शि्र श्रेण नितान एशि्रतः। titश भाषगरे काँगैरेउ हरेर, छांशी वनरक्षत प्ौनि षषिांतः १ीं क्षत्रिा नैी सीता (सोनाशाल চলিবে না। रॉईशषर्मिठ (तांभ कि ऐशीर्थगा घ** श्रो *ग्निशिगन, गणtा ला ५१न वनांtषा ऐy, वगै बशिक्ष कशउि गांशष्ठ अतः कालि (बांगैरे ग नि शंगारेऽशि। शरागा घरट्स dशि ó शैठ श्रेण, रुतिाकत ५तस्य शक्तिा शा ब्रिा। संणि, ििरेिगिस् भनिा न, ७ं सरिणन्,-(सोीन गिर नःि। नरेि ए! ौिीक्षांसि ति' षीतिष नःि। वॆशां स्त्री अंशभिश् शरणस् क्षीरा ऑशिा8 डिग सगरे। रिशीौ शश्रेरिसन चाठा ।ि 6 ािर झि, प्र िझ ः छ% क िमा घा क्|प्रिमि, श्ााग प्रशांत स्थित कप्ति षांगिाइ। - पिशी ििश्वdझ्यिश्रुति उछिन्। रीतिाः (तःीी तिष्ठ तिष्ठ श्रे' षाौिा नःि,-षषिां िितः। शरांग निशा ऐग,-(कार! दी -िो एो प,ि शन् भाकणtशश ५षंरशासन र एाल ििन शहर"ग़ा। लरि शश! श्रीग उशन शंख्शनि थ१११ कांशिा गि, कश्गि-नी अरे, (गशन (शशा शक्षिा झर न। ঙ্গিনা। আজিানা বাজায়ে ীিড়ে পারি না। m वनीष ििवज् श्रे। क्लिग कनि,-(स्म ? शरीन कलांग एागि। त् िगिर (ग़? शैिः प्रश्नः वङ्गरे शशी श्रे ौत्ा ग,ि ५ स१।। গ্রামও সেচঙ্কাৰে বড়ি পরিবে না। তার 矶哥(州何日 गा अंश (१ी श्रेष्ठी गि(*ा निि। अश् िताण ब्रां५,ि छात ५१ान ফিরিয়ে নিয়ে আসবে। ो शास्6ोपाश्र बक्क मि ।ि ५को शै। शनि श्रीगाः षशत झाऐन। (ग कश्गिशास् शिी चांरि य! (ग (१ षांशात घा (कऎ ना। (ग घरान शिा क्रताः। क्षर ऐौ ज़रेन। (क छांशाद् गि गिा निर्मठ श्रेष्ठ गणि, शुश्रुश शृंगना। । श्रीगरणिा (ग,-7 श्न चासीन स्थिा का चांशी पूण शत्रु "ा, घाशन क् िक्षसां छहे ( शं★गा शब्न छः षश् करेऊ शार! ध्वनीष शैग़र इंगिा जरिए बनिन। रेरा {ण शनिौ स्निातः सांतः विका १ीताि। भग नौप्त वर्गीर (शर् नौगा शि गत! ििशत से गिारु शक