পাতা:প্রবাসী (ঊনত্রিংশ ভাগ, প্রথম খণ্ড).djvu/৪৩৩

এই পাতাটির মুদ্রণ সংশোধন করা প্রয়োজন।

&ye यो-बाग,४७% शैठागीiा जग्रांप्री ५ नोबास गर्शत क्+ि का गहरण्%राषैग्निां नाशश्रु श्रेििग; कां★ yty१ १ोंका १r yt•t १ोर ग११ अ१ घां★ uकी निगांगt१ षांगाऐौर (शंशन *ाप्त ब्रांशशल नश्शाश् ईकी गतीिक्षा अंशं५१ीक्ष शाः। शै{कॉग गएंशांश स्नांग रत्र ,ि yti७१ार बाँझाक्लैगी गौंडेझैन (*ा भीरा नाश धारा ग१शश स्नांग रेर दूर राशि ऍशि। श्ञां रन रिए ‘१ीनां (, )i७: श्रेष्ठ ५४॥ १ौर शृं{रु रईशांन कनrौि{, शरष्ठ पर शंगैtबगा क्शिल इनर्शनास स्कृस् रेज़ि ४ा क्+िराता थशन ततः १ङ्गा गंी(रा ता गा नगरम्। घसिंपूरू क्षेछ। क्रिकणिगढ़ शैtा शैक्ष औः शशांक १{ीड्, भूशिों★र्सएशन ५ राक्षांशगता शरौं गाण्ग पृशं* शकिी कग्निशिगन। शंदावा क्+ि *किरश्चरठि कईौना ईस् अशा ऍशन ब्रांबाष्ट्ररु शि५तर्णि शक्शिाग्रा वृिगशाबा, ब्राबशनै ब्रिाना चाँझु झिझिनन। छिाना झोस् कणिगढ़ गॉर्कौशांग बांशस् छरान वैक्लक्ष रिर्थर ऐक्षिा गरे भांगिाशितन। शाकौशीशान भूौ षष्ति्रश्नंति णि प्रेहि ति रिशाह बांश भशांत ५क क्षांश र १ौगरेना **ोगानशास्त रेसाई। dरे शश गजूर-रातैः बनिए नाश्रु स्न भाझांह (गनांकि बिना गर्श शकिोईना ¢शन (गनांशस् िशिगन। ििने रश्नौ-रएषा गया घांगाऐशैनशेि जीश नई ९ वस्ति कशिगद {ात षाङ्गतां गतःि नििश् न। १ीति। तिान्तः ११ख १कोणा श्रेशिणन। *शांशंग-थश+ गिगनास् गाउगिर प्रैि घाशवत् । कणिक सुगं तिलावतात भा घांश्॥ १rररकौरएना गरिए कगिगद (शरी ताि था रोज़ गानू शषि शिक्षा शांशशा अंक्छ भौवा त्रे। पेंझिनन्न। दान १ ५कनिंग नैौ कांक्शै-शवं★ ब्रांवाप्नौ श्नि। तिौ twiगत् रएषः भक्ष*ऊन १rा राग भांरांत ौिनशि।। wi१७ १ोीतःि तणतः कारणैः। वनैी (ं नाचां नििौ ंज़ा) झांस् १ाविऽतःि। रश्शौइगणन¢श् चांग्लश भर दाग वा कशिशिगन। कगिगदtrारा षडृषीना १rा भूगलांगा ठि{तां, निरातः वार्ष्टिौ ं;णी॥हया वयँ१ि॥ ४ा(शशक्लि (छिरानै ब्लांक ऐग्निांबाबा *ाशा'शेशिगन। प्रांगांपेौ शैिः घांशा শার রায়াবাৰ্তা সেনাপড়ি সা ,কগিনেস্ত্রের इरे शक अश्रौ छा शृं#शी शर्सएशगा गिा अग्रिगाणि सनःिश्नं । तिौ षार् ि१ीत्। शृङ्गा १rाएँशः श्रूष शांतून नक्ष कांशशाशऍशा प्रेरि देशिक्स्प्लिा हेर् शता शंक्षा विानौणितः १ङ्गं (कां नििर१ षष्ठि {प्रांतः(काशनाश्रु सीतशैःङ्गांवीतः एशि इ्र षाङ्गं रुक्षिांशिगन। tारांब्राकांG| ११न निष्ठांश्ब्रांबाज़ नग:शीर्षबिगा घरश्छि, रेश शंशांब ४ क्+िझा? রোধের জোড়া শোনা গ্রা ৬ ক্রোশ পশ্চিমে षश्छि। झन् श्रीक्षांन (ग्रांप्राशं७ षराक्षर कणिषरक्षतृिशाशगंगढ़ (ग्रा निंद गांशंश कि झिहिला। शून्तान शिस् िचाँगैि षाशैशघ्ना एाप्तंीतःि तूतं भाषा'षाौ। नांशाgtा गिर्णितन्न कशिांश्न (, कभिागढ (ग्रीक्{संशः षरत् नििवा शृषिा श्री त्रिं द्रकांत बन्न ५ढ़नछ गश्तौ 8 श्रेष्ठ (jः कश्-ि शिगन। सर्गि:गठ (ारा भांश्नि-गारां शमिश् 'सम'गमशी लिािौगिर्षणका गंधैनि'ा ७ १ुोर (कारहिताशनः शरणैः गा स्{क् भांशद्ध है। शस आन गाश्रि इंसे गान शीर राश हरेशिक। प्रकाशन गढ़ गए क्षणरि रणे, ऍी ५ च क्सि एषांस् तॆर्रिी श्री षणः ५,०॥• श्ाशं श् नित्य् श्रेगि। पूरा १ीक्षांना भावाकांग