পাতা:প্রবাসী (ঊনত্রিংশ ভাগ, প্রথম খণ্ড).djvu/৪৯৮

এই পাতাটির মুদ্রণ সংশোধন করা প্রয়োজন।

• बांौगशा औषष्टि 腳 'ि प िका,ारागशांठ, स्णर, एक (ं गृे)। 'काशः शरा नःि (रु "-षषि "ि। प्रश्ता" हे ौछि अन्तिा ब्रिाना ডি। কে আমাছ চেনে না, একটা আমগাছ ।ि ब्रि,ि "ौं िश्'-J Jरु Margifera Indica, Margica ? ຖຸ lia राड़िा। रिर् Indiaर राहि नः झोउ'। झुला गंगबनित गिर्सा ििगस् शाशहेर ज। क्षेaइन,ए,१५ग, , *,ि रेश नी,१ठि। 4ीशाशशी,१५ि।१,िस्-िनी १६लेि। त्मशुनििस्क्रा%िलिस्पी रु. झा स् िअिग शा। स्त्री रु ... र शरस्र िdश क्ष र श,ि रस्रि शउि J Jरु (1 छाँगों पें, त पूजा गरुन गपूर र शिशश गरम करे शंका र १कठिन ग्रहांन; fणा शिरांश् रुतिाउ १ी न। सिि,७शंश्लेल रि (सांग भञ्जाउ शंश झैं तून ७ढ़ बांश श्रेष्ठ शिtछ, स्tि११शठिनांश कृगगारश। कृता धार्मि भूरd aाषा (वास शीर) अग्नुि र शिर गिर। t३ तांग्ला: #ां★ शिरांश् निश्छि। ५१iन8 (शंत्र वल्लए काग़" श्रेdीr gारे बांश इरे शंशिष्ट १ीतःि। एनि गीतारिाप्तिरति । (नःि। इंग्नि शशि पशूिस णार गए क्षेत्र षः8 ¢ोौनसांग शरेउ श्र। dएारु षष्ट्रि पशूिर र शगिए संग्रह। शैत्र शंग्लिश शाि। तिबाझ बामि बार्ूि , अिश्। शेन प्रिवष्ाि शश ीिइ झोज् श्राम। रजनीश्शागबग्निरगिर शीठ राणन गरे, शिक्षक(तिा है। परी शभिः केt. क्षिप्त। स् ि१धार्मिं रणि श। इी. ३१ स्निश्tाशि९ ऐणरि ति न शी। धर शंग्नि शश था बण् िचामि शिांश शर्बाणिज् शिर बाँछाला रिए प्रांइ। भूरी ७ जारशैताल प्रारा (१ गििर झोछ। कबरे शांशंरु गरारिरांश् शत्र क,ि उशत९घनत सृषिा शिांत्। प्लांबांशानं रक्षांसि शांक वांख्ि (ीर इगनिशिएशनारे, श्रौं शत्ररि रेग्नरु छांशं:९गारां ब्रांशं हरेछन। ऐरिक्षगाशरसिाधारश्र श रा,र्ि १छष्ञिांश ऐx"हि न छांगिग९ गिरन। एस् मांश ।ि रुज् स् रििग्न, क्षु स् घनििश्। एशिना विनीता ऎ५१विति ।। ५्र साननि। ऑगैमकॉन धक्का नांशtार-ास् त् िशतमषणि। जिनेि रिशां७ ईशांशिगन। (ार-शस् dरै नी", षांकि, रिर् शरी ऍश नारा र गर भूििउ हरेः घोशिश्न। धांत (सर्tा (स्पष्ट श्गि मी एांश रश्छि ?ा शं; श। १५ ५न है। ७स्कॉलनी श्रुतिष्ठिा कांग, dरु शंत्र न हऐक हिड़िा शंत्र घां★९ (गांरक्ट्स नांश tास-अरु हिन। एीरीतःि (सर् (तद् विंशतःि। विाहन। रक्षां dण गए र गंश हिस्र। श# १मा शिश्नांश् दृकर्ष क्वि गिक ज्ञांश 'ग' (शं) कशिशिनन, फ़श ‘श्रीग ७क्) १शछि श्रेणि। झ७ कांशं78 नांश् ग्रहार क्लिग। एांशैः रत्नैक्षा (श्र र|{ा १शठि $श्रुतिांश्न। ५स्वान शंभ (ग्राग लि, शं होस् त झुला गि। गंग झोझ्। घरशंमा ७रु (री तििछ शिश्न। शए ठाईा क्षा षषक्षतिगाशनि। झर श्नि न,स्तृि गी ऍश रल १, शश ५ tार साक्ष। देशां।ि घर्षर এ দিয়ে নাম (*शीर्ण श्रेण् १शछि बांश ऐरशस्ति। घांक्शंग गिशरा रििह,१रंपित्व गां (शौं क्षे, यूगो९(१ता त्रेष्ठ न, नििश्। गिगरे ।ो ऐंथ्। गरुन्त स्ना लि ग। त्यतिर सस्त्र (एन । भूज़िा (शि,ि छिंग सा छ, 'शंशानारि'-शूशनच। "श र{|