পাতা:প্রবাসী (ঊনত্রিংশ ভাগ, প্রথম খণ্ড).djvu/৬৮৮

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it ग$]] ििश् eगा-ऎछनिक क् िकौ७थछिरीनारा वव्रेरे संतांiाँ ws छाश्रार्रवांक्शं★ना शिाौऐएाबा ७ढ़? (शंससि ?ानिए काि कांशिाह, छांशात ऐश्रेष्ठ घग्नो रु; ; घउ र छाँशा छिर्णाश्रु ७ कस्ईऋशरेएावः शर्वर्थम् श्रे॥१श षरिष्ठर। छांशं श्शेन षगां★ा राशीन हेrहक्क ग्रंरब्रtफेन शिा नििर्ज् षाङ्गानि श् िवीक्ष्णाष्ट्राद् গন্ধমান করি পূর্বোঙ্গ জড়িয়ে যোগিক ल्लिन ब्रांश्रित गर्शश् (कम रुतिाउइ ? এাগোষ্টিানো উড়ি নিয়া ওনিধি থাক, বিদা "উংগীড়িত ও অনড়" শ্রেণীর (बांक्षा श्रेक घरज्ञान रुन। घरश (क्र् उिक् বলি তাক গ্রেপ্তার কাগুলিলে কর্তা হবে। [रुनिउि रुज्तांग्रशंरक्ष्मत श्। झोप्नु, ईशशुशरिरा।] উচ্চশিক্ষাকি ধুনী ও প্রতিভাবানদের জন্যই হওয়া উচিত? ভালোকদের মধ্যে বেকার লোকের সংখ্যা বড় বেশী ক্টাছ বলিয়া এই সন্তার মানের জন্য আলোচনা স্টুড়েছে। খবরের কাগজে দেখিলা, কোনও উচ্চপদস্থ সান্ত ব্যক্তি এবিষয়ে এইরূপ মন্ত প্রকাশ করিয়াছেন, (१, रिश्रतिष्ठानाम्ल १िक १ौ गशांनातू dर थण्ठिावान शंज्ञाह वक़्रे नि३ि १ीड़ ऐंग्लि, एरः (एन्ध लस् ९ मूलग्र 'प्ति क्रिा परुि পরিমাণে দণ্ডে উচিত। শোক্ত বা খুকি। हे प्लेशानं षश्न: रुक्ष रुहिउ शंtिरु गश्र्ष কড়ি লৈ পাণিঃশিক্ষার যা খুব বাঙ্গন मशः। ग्ढ़ि अशश रशिक्रे तुझे इन १अ शशेर प्रि। झुम्ला ७३ प्रत् फ्रािंज्ञा बिक्स्ि क्षे स् िकश्रि, उशहe रारश करें। थक्क মূলনে যেসব গাব্য গ্রন্থত করা যায়, তায় 'लौ रुतिीा विा निशि।। {ं निशं नि गो ढाक्क अरु झोस् रुज्रुक्ष िशंख श्। उ পরিবে, অনেকে পরিবে না। আয়ারা পরিবে না, शशांकर काम गgाप्त ११ (शरे स्ि ৰে। ীে নে কারখানা স্থাপন সে "tछौकरिॉन वनु चारवृढ़, छांश अंतृष्ठ क१िछ् विशिग यूनान गैरस्शन रग्निश्रेष्ठ गांr, शश अंछि हरेर। - गशांतूषिकांग्री (गांक्शन शशी (श्न (रकांना *ष राष्ट्रिाइ, विार्षिकथ१ (गस्त शश९ ग्रेट्” (रशंसा गष राग्निर १ी, ीि ज्ञान ग¢श् ५११ ऐ९१ दशा शांशांtा किौ कक्रिािं श्राकांसए न श। - शंशा गांषरुि विश् (ज्ञान रु १आङ्गि अंग कनिष्ठ छांन न, छाशन रिवर छांना शांौ४ छ: रुति षानैशस् ितांषि नाशहे तादृशीन (फ़्ग रुािा, स्य प्ले नि मा। रे"' र प्लांकी धानरु tानै गिढ़ ¢क्लष्ठ छनतिबिहे (सांग (कॉन ताप्लॉगैौ १शशिंद्राला dषांtर€ ब्रांशै। इन नारे। घांसाह dळूर्ण निरु अनिरु षांश्न, शैशंना चां★छतांग श्लेख्रे¢सृज् ज्ञात्वा शांशान्नै5ांन। शशरे श्र, क्षे गर राशि बांशा दूरस्शिरु षष्क्लिष रुङि इशेर। चढ़ (क्श् छांशंtा ডিম্বো পংগুপানী লিখিব, এরা আশাকা षख्।ि षांशात.(tवं वांछौ राजूdिष्$िष्ठ शंति रुज्को शू िश्रेष्ठ तो; छुि ११ बारे अंश छत्र घकर्णन रु।ि ऐाउि गछि .ि শিল্পান্ধিক্ষেত্রে নি যে উপায়ে গারেন, প্রবেশ रुन्न। सीज़ (न राष्ट्रॉलौ शङ्ख धान अरुन बारे १ान थांक, ऐशं षङाए (काछन रिशः। शिना नौका हन रि' र्शिना भूतः श्शिरान्। (क्रण छाशारें क्षितिाश्tार विक्र १शेर, dरेष्ठ গ্রস্তাব আগেও মধ্য মধ্যে আনিছি। আলোচনাও गष्ठरउ: श्रीं नििाश्।ि हिङ्गु वीरा रुङ्गी तिांतः। প্রথমত, এই গ্রস্তাটি কার্মে পরিণত েৈল তার দ্বারা বেকার সমস্তার সমাধান হবে কিনা, বিবেচ্য। ईिशानगरतः प् ि४ज्झिरा इताि नििश १ा ७१तः ভাল পাস করে, জাহারেও অনেকে কোন কাজ গায় न-(श्रुन गिा १ीक। ३शब्द ऐक्लद्र रज्ञ आहेछ গায়ে এগি ঘানৰ ছেলেং এখন পাবার क्षरः शशी। नाना ऐ१ीतःि षनल् गतःि जि शनःि। বা নিয়া এড়িা ছেলের বা গান। তা िगण श्, उश श्रेग रागाउ श्र, गर द्रका शंक् का थिीस पी अफ्रािणिहरु পরীক্ষা গ্রবর্জন কংি তার মূল স্যার কাজে স্বনি দেওয়া উচিত। সেটা এখন অগ্রাকি কা বলিয়া তারা আলোচনা করি না। এখন কেবল शिका श्रेल् ि(, ठिञान 8 घर्थण्डितान छैल वन शप्ता निका १ाक्षी क्षरं ततः। ‘এলিয়ে না গম এলাং গঙ্গা चन्नत ब्रािन्शूरु (पर्सा शास्। क्ढ़ि ऐिकनिक (क्रण कौ९óण्ठिशाला