পাতা:প্রবাসী (ঊনত্রিংশ ভাগ, প্রথম খণ্ড).djvu/৮০১

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- | সসারে এমন কতকগুলি লোক আছে যাহার কার+ে अिग्न, अप्ति नै{स। आशा शं९ोगश९ श् छाशा हिा श७ श्रेए (शरें "रेरन। शशास न गर्स कौन-स् हि राग {िारे घोइ। बांतरौना१९ स् िdन् िक्षार्थः (गाढ़। शै शठ रगि,-षष (श (शंसान भूि 狐目 - छांप्रशैनां५ षशनि गइए श्शे रुणि,-जू*ि? যাপার! স্বায় আবার দিবেন। স্ত্রী কলি-বাকা ছোট ছোয়ার নিয়ে পাবার [क्ष (मरे। ( ?-*ि शां★र छः षाः षणा॥ तःि ।, —ত হলে বর্ষাকালে ছেলেদের টিপি লেগে মা ! ডাড় কোনও ক্ষতি হানতো। राएराशौश त्रांशैः शन ड़िा थारश रुक्षिांश् देशहे न रुति शैहि,-ठि वारां तिगः । श्ा, {णt; १ोस। -ी|ए गतिंततःि।। षाश्,५तः सीव कं न (स्न। ५ां शृङ्गौाशर न तिितः शांतः शं। স্ত্রী হাসি৷ বলি-মে আর তোমাকে বাড় হবে না, লেখাণ্ডানো হয়েছে। জানকীনা াৈছিল উঠা বসি কল্লি-এা! श्रृंगानि ; एका इति (श तिलका नििश् न। iব নাকি একবার চাক্ষ ড়াজারের ওখানে। আগে शकुछ अन्tाआहे अग। शै१श्रु ग्नि रु,ि-शांग शुरु गरुि ! Jको ग िगोरु, छाख्रेष्ट्रप्लेर अिस्त्रा गिर्छौं। अिग খেছি,তোমানে কিছু বাবার ঘোনে-একটুকুতেই शिौए ग्लादूगर। शै१श्रु शंरे। अरु बनशैम१g१कनि। আর একদিনের কথা। আগিয়ে জানকীনাথ'লোট' धाग्॥ि{ौप्तािह्। नि िितः शरीरेष्रे शशी चांगिा घानासारे भक्तिा हिंग। छीश (स (स्र शत्रोनीति झ हितः तिा dv नैशाकानि रुछि गणि। (गरेरुि शक श्रृंग्निषरे बांनशैनां५ छा का श्रेtग-(श्न ठाशन कांछि uक्रांत व्रत श्रेशिाश्। श्रीङ क्ला बि भगान र॥ि१॥ावारित्रिरांगूरु श् िश् िकशिासरिणराज्ञै ग्निौ षतिग्ने (श शा, शाब्रे १श५॥ घा हेि र (चों (र ि? (गि|(छ?ङ्का षांश्न (शरु षा (शाश्ऊ शनि। रफ़्रीर् छांौ प्लैश, िरगििनगद्? शकौ गरे रुग्नए शर নাকি? , , ििनरार् शू िशक्ति रुति-प्राप्लुरे । गरिश,ििजrौल रिझशिार! ७ रन स् ि? छ शश दि फ़्रांति नरे। शास की भू रुद्रा गरे। ७१न (ग (काशी ज़िारेर, ति रति उशरा शुश था रि, (ग्ठण कानि राबा, षा की छूशेठ १रि नि उशहरे र ौिरु !ि dरु शिक्ष शश एशन शन प्ठ $ा लिप् रुतःि।। ौरेि। ,ि इङ्ग तःि जि। न तिर{{१ रुिि,-शरण तःि

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নিশাগিান পাশ দিছিল,সেটা रुच्नि–गिरे, नििश् (छा ( िका फ्रा, Jा আবার গল্প কেঁদে আমাদের কাজের ব্যাঘাত করবেন না। षांशtा छा ि(श धाराष्ट्र रवां ब्रां५७ शर! ५१ान राणा न का राष्ट्र क्रा, रफ़्रांगू गर দেখা করে এলে ভাল হয়। so बांनशैनां९ (शन8 तकः ऐी ज़रेण, शब्दशा शैला शै; इन हठेउ शांश् िइशेण्हे प्लिएा श्रेष्ठ काशी शभिः कंस उशन कान (), (ग शब्द इक राक्ष रघ्ना गं (लाः सन्ति। निरे।0ांत निश्ाि। रगिाउ शांगि,-थांब चांगूरुगीन ( िशशिाश्। चा नि नि हर न। ५ारी जि शि। झुनझशिि। सििप्लेन। गगन! छा िसञ फ्रेजी शाश। 'ा अिफ्नो झगशा

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